उपासनाका गुरुकुल कैसा होगा ? (भाग -१०)
उपासनाके गुरुकुलमें सभी बच्चोंमें, बाल्यकालसे ही सेवाभावकी वृत्ति निर्माण करने हेतु, गुरुकुलकी भिन्न सेवाओंमें सहभागी किया जाएगा । आजकी पीढी स्वार्थीऔर अहंकारी होनेके साथ ही बहुत ही आलसी है, यह सब इस रट्टू तोतेवाली, निधर्मी शिक्षण प्रणालीका ही परिणाम है; इसलिए उपासनाके गुरुकुलमें बच्चोंको उनकी शारीरिक एवं बौद्धिक क्षमता अनुसार आरम्भसे ही सेवा दी जाएगी, जिसके अन्तर्गत उद्यानिकी (बागवानी) करना, भोजन बनाना या उसे बनानेमें सहायता करना, भोजनके पात्रोंकी स्वच्छता करना, अपने वस्त्रों, कक्ष व विद्यालय परिसरको स्वयं स्वच्छ करना, आश्रम परिसरके मन्दिरका अनुरक्षण (रखरखाव) एवं पूजाकी पूर्व सिद्धता करना, गोशालाकी सेवा करना, गुरुकुल हेतु आसपासके ग्रामसे भिक्षाटन करके लाना, यह सब सेवा उन्हें करनेकी सन्धि देकर उनमें दिव्य गुणोंको आत्मसात करानेका प्रयास किया जाएगा ।
आजके माता-पिता लाड-प्यारमें एवं विद्यालयकी शिक्षा मात्र रटन्त शिक्षा होनेके कारण आजके बच्चोंमें अच्छे गुणोंका अभाव स्पष्ट देखा जा सकता है । इसलिए जब बच्चे मात्र शरीरसे बडे होते हैं, न वे शारीरिक रूपसे पुष्ट होते हैं न मानसिक रूपसे और अध्यात्ममें तो शून्य ही होते हैं । इसलिए उपासनाके गुरुकुलमें विद्यार्थियोंको सब कुछ सिखाकर उन्हें स्वयंपूर्ण किया जाएगा ।
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