उपासनाका गुरुकुल कैसा होगा ? (भाग-८)
उपासनाके गुरुकुलमें चूंकि बाल्याकालसे ही सभीको साधना सिखाई जाएगी; इसलिए यहांके विद्यार्थियोंकी वृत्ति अंतर्मुखी होने लगेगी ऐसेमें उन्हें सूक्ष्म सम्बन्धी ज्ञान भी सिखाना सहज होगा ! उपासनाके गुरुकुलके विद्यार्थियोंकी सूक्ष्म इन्द्रियां साधनाके कारण स्वतः ही जाग्रत हो जाएगी और इस कारण वे जिस भी शास्त्रमें पारंगत होंगे उसके सूक्ष्म पक्षको सहजतासे समझेंगे एवं समाजको भी सिखायेंगे !
आज भी हमारे सभी वैदिक शास्त्रोंके ज्ञानको देखकर विदेशी अचंभित हो जाते हैं; क्योंकि हमारे यहां चाहे कोई मूर्तिकार या संगीतज्ञ या खगोल शास्त्रज्ञ सभीका सूक्ष्म इन्द्रिय उनकी साधनाके कारण जाग्रत होता था ! यह उपासनाके गुरुकुलकी विशेषता होगी !
आजकल कुछ लोग कुछ दिनका एक छोटासा पाठ्यक्रमका अभ्यास करवा कर,लोगोंका या विशेषकर विद्यार्थियोंका सूक्ष्म जाग्रत हो गया ऐसा बताकर उनके नेत्रपर पट्टी बांधकर उनके सूक्ष्मके ज्ञानका प्रदर्शन करवाते हैं ! वस्तुत: यह अनुचित है ! यह एक तांत्रिक विधि है और इसे करनेवाला थोडे समयमें अपने अधिक अहंके कारण अनिष्ट शक्तियोंके वशमें चले जाते हैं ! इसका विपरीत उपासनाके गुरुकुलके विद्यार्थियोंका सूक्ष्म इन्द्रिय गुरुकृपा एवं योग्य साधनाके कारण जाग्रत होगा इसलिए उससे प्र्पाप्त ज्ञान, विशुद्ध ज्ञान होगा जो मुक्तिकी ओर अर्थात अहंके लयकी ओर ले जायेगा |
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