उपासनाके आश्रमके निर्माण कार्यके मध्य मिले सीखने योग्य तथ्य (भाग – २)


उपासनाके आश्रमके भूमिकी चयन हेतु जब हम (मैं और कुछ साधक) प्रथम बार इस स्थानपर पहुंचे थे तो वह गणेश जयंतीकी शुभ तिथि थी और भूमिपर एक काले रंगका नंदी घास चर रहा था और भूमिपर नीलकंठ भी दिखाई दिया ! एक तो भूमिके वास्तुमें अत्यधिक हलकापन था और ऊपरसे ये शुभ चिन्ह मुझे इस स्थानकी सात्त्विकताका परिचय दे रहे थे | मैंने पहले सूक्ष्मसे उस स्थानका परिक्षण किया उसके पश्चात स्थूलसे मेरे पास कुछ उपकरण थे, उससे उस स्थानके वलयका निरिक्षण कर साधकोंको दिखाया कि कैसे सूक्ष्मसे ज्ञात होनेवाले तथ्यकी पुष्टि कुछ सीमातक आजके आधुनिक विज्ञानके कुछ उपकरण करने लगे हैं ! वैसे तो आश्रम हेतु कोई भी भूमि ले ली जाए, वह थोडे कालमें (२१ माहमें) साधनाके उपरान्त स्वतः ही सात्त्विक हो जाती है; किन्तु आपातकाल आरम्भ होनेवाला है और इस दृष्टिसे हमारे पास समय कम है; अतः सात्त्विक भूमि मिलनेसे कार्य संपन्न होने हेतु सर्व सामग्री सहजतासे मिलती है और कार्यमें अडचनें भी कम आती हैं ! इसलिए भूमिका चयन करते समय वह वास्तु शास्त्रके अनुसार हो एवं सात्त्विक हो, इसका हमने विशेष ध्यान रखा और ईश्वरकी कृपासे मात्र दस दिनमें यह भूमि हमें मिल भी गया |

– (पू.) तनुजा ठाकुर



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution