उत्तर प्रदेशमें दुग्ध उत्पादनने बहाई उपजीविकाकी धारा, ग्रामीण क्षेत्रोंमें पशुपालकोंकी सङ्ख्यामें वृद्धि 


२ जुलाई, २०२१
             राज्य शासनके प्रयासोंसे दुग्ध उत्पादनमें उत्तर प्रदेश अब देशमें प्रथम स्थानपर है । अमूल सहित ६ निवेशकोंने प्रदेशमें ‘डेयरी प्लांट’ स्थापित करनेके लिए १७२ करोडका निवेश किया है तथा १५ निवेशकोंने इसके लिए प्रस्ताव दिया है । भारतके दुग्ध उत्पादनका १७% उत्तरप्रदेशमें हो रहा है । वर्ष २०१६-१७ में वहां २७७.६९७ लाख ‘मीट्रिक टन’ उत्पादन हुआ, जो २०२०-२१ में ३१८.६३० ‘लाख मीट्रिक’ टन हो गया । प्रदेशमें ‘ग्रीनफील्ड डेयरी’की स्थापना कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, बरेली, कनौज, गोरखपुर, फिरोजाबाद, अयोध्या व मुरादाबादमें हो रही है । शासनकी इस क्षेत्रमें रुचि देखकर देशके बडे बडे निवेशक अपनी ‘डेयरी’ इकाई वहां लगा रहे हैं ।
       शासनने ११८ गोवंश संरक्षण केन्द्र व गोवंश वनविहार स्थापितकर निराश्रित गोवंश योजनाके अन्तर्गत ६६ सहस्रसे अधिक गोवंश इच्छुक पशुपालकोंको दिए हैं । इसके साथ ही देशी गायसे सर्वाधिक उत्पादन करनेवाले किसानों हेतु  गोकुल पुरस्कार व नंदबाबा पुरस्कारकी घोषणा की है । १२ लाखसे अधिक दुग्ध किसानोंको ‘क्रेडिट कार्ड’ दिए गए हैं ।  इससे राज्यमें दुधारू पशुओंकी सङ्ख्यामें वृद्धि हुई है ।
         स्वतन्त्रताके पूर्व भारतमें दुग्ध उत्पादन विपुल मात्रामें होता था । पिछले शासनकी नीतियोंके कारण करोडों देशी गायें निधर्मियोंका भोजन बन गईं । अधिक दूध प्राप्त करनेके लिए ऑस्ट्रेलियन गायोंको पालनेका चलन बढा । देशी गायोंकी सङ्ख्या न्यून होती गई । दूधके व्यापारमें मिलावट ही नहीं, रासायनिक दूध बनाकर बेचनेवाले नराधम भी आ गए । उत्तर प्रदेश शासनकी देशी गायोंको प्राथमिकता देनेकी नीतिके कारण शुद्ध दुग्ध उत्पादनमें वृद्धि हुई है । अन्य प्रदेशोंको भी इससे सीख लेकर गोवंश रक्षण करना चाहिए, जिससे कि हमारे देशके नागरिकोंको शुद्ध दूध प्राप्त हो । साथ ही रासायनिक दुग्ध उत्पादनपर कठोर दण्डका विधान हो । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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