वर्तमान प्रजातन्त्रके प्रतिनिधि हैं उत्तरदायित्वहीन


हमारा देश, प्रजातन्त्रके योग्य नहीं, इसका प्रमाण यदि देखना हो तो संसदमें होनेवाले सांसदोंकी कार्यपद्धतिको देखें । वहांका दृश्य देखकर, मछली हाट स्मरण हो जाता है । मछलीके हाटमें कोलाहल और दुर्गन्धके मध्य मछलियोंका व्यवसाय तो कमसे कम होता है । हमारे सांसद तो जैसे संसद भवनमें होनेवाले सत्रोंमें, मात्र अवकाश लेने हेतु ही जाते हैं । अनुशासनहीन बालकों समान वर्तन कर, संसद सत्रको निरस्त करवा देनेमें वे अपना बडप्पन समझते हैं । ऐसे निकृष्ट, उत्तरदायित्वहीन, बहिर्मुख नेतागण क्या कभी राष्ट्रका उत्कर्ष कर सकते हैं ?- तनुजा ठाकुर

 



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