‘वचनं किम् दरिद्रता’वाले जन्म-हिन्दुओंसे सदैव रहें सावधान !


अनेक अकर्मण्य हिन्दू कुछ करते तो नहीं; परन्तु टीका करना, चूक निकालना, जो कुछ अच्छा कर रहें हों, उन्हें अपनी तीक्ष्णसे शब्दोंसे हतोत्साहित करना, उनका मूल स्वाभाव होता है और वे इसीमें अपना बडप्पन समझते हैं ! ऐसे ‘वचनं किम् दरिद्रता’वाले हिन्दुओंसे सदैव सावधान रहें ! अकर्मण्य हिन्दुओंको जो राष्ट्र एवं धर्म निमित्त कुछ भी योगदान नहीं देते हैं और न ही साधना करते हैं उन्हें किसीपर टीका करनेका अधिकार नहीं होता , इस तथ्यका ऐसे हिन्दू सदैव ध्यान रखें |  – तनुजा ठाकुर



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