वैजयन्ती माला


बैजन्ती (संस्कृत : वैजयन्ती) एक पुष्पका नाम है, जिससे ‘वैजयन्ती माला’ बनती है । यह माला, श्रीकृष्ण एवं श्रीविष्णुको सुशोभित करती है । ‘वैजयन्ती माला’का शाब्दिक अर्थ है – ‘विजय दिलाती हुई माला’ अथवा ‘विजय   दिलानेवाली माला’ ।

शास्त्रोंमें इस मालाकी बडी महिमा है । ये श्रीकृष्ण भक्ति प्रदान करनेवाली मानी गई है । इस मालासे श्रीकृष्ण मन्त्रका जप किया जाता है । इसे गलेमें धारण करना शुभ माना गया   है । यह माला, भगवान श्रीकृष्णकी प्रिय ६ वस्तुओंमेंसे है – गो, मुरली, मोर पङ्ख, माखन, मिश्री तथा वैजयन्ती माला । मान्यता है कि जो भी मनुष्य इसे धारण करता है, उसे जीवनमें शान्ति एवं सुखकी प्राप्ति होती है ।

वैजयन्ती,  एक  पौधेका  भी  नाम  है । इसके  पत्ते हाथ भरके लम्बे एवं चार-पांच अङ्गुल चौडे होते हैं । इसमें टहनियां नहीं होतीं । यह हलदी तथा कचूरकी जातिका पौधा है । इसके सिरपर लाल अथवा पीले पुष्प लगते हैं । पुष्प, लम्बे तथा कई दलोंके होते हैं एवं गुच्छोंमें लगते हैं । इसके काले दाने कठोर होते हैं, जिनमें लोग छेदकर, माला बनाकर पहनते हैं ।

एक दूसरा मत यह भी है कि वैजयन्तीके पत्ते हाथ-हाथ भरके लम्बे एवं एक इंच चौडे होते हैं । इसमें टहनियां नहीं होतीं, केलेकी भांति काण्ड (तना) सीधा ऊपरकी ओर जाता  है । इसमें कोई पुष्प नहीं आता, मात्र एक बीज फलीके साथ निकलता है । बीजमें ही जुडा हुआ पराग होता है । कुछ लोग बैजन्तीको ‘कैना लिली’ भी समझते हैं; किन्तु दोनों पौधे   भिन्न हैं ।

बैजन्तीके पौधेकी सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इसके बीजमें माला बनाने हेतु कोई छेद नहीं करना पडता । यह माला, भगवान विष्णुजीकी सर्वाधिक प्रिय मानी जाती है । वस्तुतः यह विष्णु तत्त्वको आकर्षित करती है; इसलिए विष्णुभक्त इसे प्रेम व भावसे धारण करते हैं या इससे माला भी जपते हैं । (लेखक – अज्ञात)



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