वर्तमान समयमें स्वप्नकी बातोंपर न करें विश्वास
अनेक लोग स्वप्नमें दिखे हुए या बताए हुए तथ्योंकी पुष्टि हेतु पत्र लिखते हैं तो आपको इस सम्बन्धमें कुछ योग्य दृष्टिकोण देना उचित लगा; इसलिए इसे लघु लेखको लिख रही हूं । सर्वप्रथम यह जान लें कि वर्तमन समयसे लेकर हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना होनेतक सभी सात्त्विक एवं हिन्दुत्वनिष्ठ व्यक्तियोंको सूक्ष्म जगतकी आसुरी, विशेषकर मायावी अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट अधिक रहेगा; इसलिए ऐसे कालमें अनिष्ट शक्तियां, अपनी साधनाका उपयोगकर, देवी-देवता, गुरु, पितर इत्यादिका मायावी रूप धारणकर साधकोंको भ्रमित करनेका प्रयास कर रहे हैं एवं भविष्यमें जनवरी २०२४ तक वे ऐसा करेंगे ही ! जी हां, हिन्दू राष्ट्रकी स्थापनाकी कालावधि कुछ माह आगे टल गई है । इसलिए ऐसे कालमें जबतक आपको गुरु न कहें, तबतक अपने मनसे भान हुए सूक्ष्म बातोंपर या स्वप्नपर एक प्रतिशत भी विश्वास नहीं करना चाहिए । आप कहेंगे ऐसे कभी हो सकता है क्या कि अनिष्ट शक्तियां देवी-देवता, गुरु या पितरका रूप धारणकर लें ! इस कालमें मायावी मान्त्रिकों (सबसे शक्तिशाली आसुरी शक्तियोंका) प्रकोप अपने चरमपर है; अतः वे किसीका भी कुछ क्षण रूप धारण करनेमें सक्षम होते हैं; इसलिए स्वप्नकी बातोंपर कदापि विश्वास न करें ! हां ! यदि स्वप्न ब्रह्म मुहूर्तमें हुआ हो और सतत तीन दिवस एक जैसा स्वप्न आए तो ही वह सत्य हो सकता है अन्यथा शेष स्वप्न भ्रामक होते हैं !
स्वप्न आनेके मानसिक कारण भी होते हैं । जैसे कोई व्यक्ति अपने गुरुके विषयमें विचार करते हों तो ऐसी सम्भावना है कि स्वप्नमें भी वे दिखें या किसी परिजनसे अत्यधिक स्नेह हो और उसकी मृत्यु हो जाए तो उन्हें गति मिल गई हो; किन्तु उनके अन्तर्मनमें उनका विचार चल रहा हो तो भी उनके स्वप्न आ सकते हैं । इस प्रकारके मानसिक स्वप्न आधारहीन होते हैं । संक्षेपमें यह समझ लें कि वर्तमान परिप्रेक्ष्यमें स्वप्नपर विश्वास नहीं करना चाहिए; क्योंकि स्वप्नकी बात माननेपर आप दिशाहीन हो सकते हैं !
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