वस्त्र धोते समय ध्यानमें रखने योग्य तथ्य !


साधको ! इस ब्रह्माण्डमें खरे सन्तोंकी संख्या नगण्य ही है, ऐसेमें यदि आपको कभी सन्तोंके वस्त्र धोनेका सौभाग्य प्राप्त हो तो उसे अपने हाथोंसे भावपूर्वक धोएं ! सन्तोंकी देहसे स्पर्श होनेके कारण उनके वस्त्रोंमें अत्यधिक चैतन्य होता है, जो उनके वस्त्रमें चला जाता है । उन वस्त्रोंके अधिक समय स्पर्शसे, स्पर्श करने वालेपर आध्यात्मिक उपचार (स्पिरिचुअल हीलिंग) होता है, साथ ही इससे आपकी सगुण सेवा भी होती है ।
हमारे श्रीगुरुके अनुसार अध्यात्ममें पूर्णत्वतक पहुंचने हेतु सगुण सेवा अर्थात गुरुकी देहसे सम्बन्धित सेवाएं जैसे गुरुके लिए भोजन बनाना, उनके कक्ष या वस्त्रकी स्वच्छता करना, उन्हें औषधि देना या मर्दन (मालिश) करना, इन सेवाओंका महत्त्व ३०% है एवं गुरुके कार्य अर्थात निर्गुण सेवाका महत्त्व ७०% है । यदि आप ईश्वर प्राप्तिके इच्छुक हैं तो इस तत्त्वको ध्यानमें रखकर सेवा करें !
वैसे ही यदि आप अपने वस्त्र, धुलाई यन्त्रमें धो रहे हैं तो सन्तोंके वस्त्र पृथक ही धोएं, सभीके वस्त्रोंके साथ उनके वस्त्रोंको न धोएं !
वैसे भी धुलाई यन्त्रसे धुले वस्त्र सूक्ष्म रूपसे अशुद्ध एवं अपवित्र हो जाते हैं; क्योंकि उसमें काली शक्तिका आवरण आ जाता है; इसलिए यथासम्भव उसका प्रयोग न करें ! आपलोगोंको समझमें आ रहा है न कि आपलोगोंको सूक्ष्म क्यों नहीं समझमें आता है ?
और यदि समय अभाव या शारीरिक कष्टके कारण आपको उस यन्त्रका उपयोग करना ही पडे तो उसमें दो-चार बूंदें गोमूत्र, अग्निहोत्र या किसी यज्ञकी विभूति डालें ! धुलाई यन्त्रकी भी स्वच्छता करते रहें ! वस्त्र धोनेसे पूर्व उससे प्रार्थना करें, “हे धुलाई यन्त्रमें उपस्थित देवताके अंश, आपको मेरा प्रणाम है, आपके उपयोगसे मेरा अमूल्य समय बचता है, इससे मैं व्यष्टि और समष्टि अधिक समय कर सकता/सकती हूं । गुरुसेवामें मेरा सहयोग करने हेतु मैं आपके प्रति मनःपूर्वक अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता/करती हूं ।” यह बोलकर उसमें वस्त्र डालें !
वस्त्र धूपमें सुखाएं, इससे वस्त्रोंपर धुलाई यन्त्रमें धुलाईके समय जो काली शक्तिका आवरण एकत्रित होत है, वह कुछ प्रमाणमें नष्ट हो जाता है । वस्त्रोंको रात्रिमें कभी भी खुले आकाशके नीचे न रहने दें, इससे उनपर सूक्ष्म काले आवरणका निर्माण अनिष्ट शक्तियां करती हैं या वस्त्रोंपर साधनासे जो कवच बनता है वह भी नष्ट हो जाता है । जिस कपाटिकामें वस्त्र रखते हैं, उसमें सनातन संस्थाके आध्यात्मिक उपचारयुक्त कर्पूरकी एक दो टिकिया भी रख सकते हैं । कपाटिकाको सदैव ही व्यवस्थित रखें ! काले वस्त्रोंके साथ अन्य वस्त्रोंको न रखें, उससे सभी वस्त्र अशुद्ध एवं अपवित्र हो जाते हैं ।
यदि घरमें अतिथि आए हों, घरमें जिन्हें तीव्र अनिष्ट शक्तिका कष्ट हो या कोई रुग्ण हों तो उनके वस्त्र सभीके वस्त्रोंके साथ कभी न धोएं ! पूजाके लिए देवताओंके लिए उपयोगमें आने वाले वस्त्र, रसोई घरके लिए उपयोगमें आनेवाले तौलिये इत्यादिको भी एकसाथ कभी न धोएं !



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