ईसाई मतान्तरण हिन्दू संस्कृतिपर आघात, छत्तीसगढमें ईसाई ‘मिशनरियों’के विरुद्ध सडकपर उतरे सैकडों ग्रामीण, उग्र आन्दोलनकी चेतावनी
०८ अगस्त, २०२२
छत्तीसगढके गरियाबंद जनपदमें इसाई मतान्तरणके विरोधमें सैकडों ग्रामीणोंने सडकपर उतर कर प्रदर्शन किया है । ग्रमीणोंने इसे अपनी संस्कृतिपर सङ्कट बताया है और ये सब न रुकनेपर उग्र आन्दोलनकी चेतावनी भी दी है । यह घटना ७ अगस्त २०२२ रविवारकी है।
यह प्रकरण राजिमके ग्राम कौंदकेराका है, जहांं प्रत्येक रविवारको ईसाइयोंकी प्रार्थना सभा होती थी । इस अवसरपर प्रार्थना सभा आयोजित होते ही वहांं ग्रामीणोंने विरोध करना आरम्भ कर दिया । स्थानीय लोगोंका आरोप है कि उस प्रार्थनामें कुछ बाहरी लोग भी आते है; जो लोगोंको ईसाई बनानेके लिए भिन्न-भिन्न प्रकारके प्रलोभन देते हैं । स्थिति ऐसी हो चुकी है कि एक ही माता-पिताके भिन्न-भिन्न बच्चे अब भिन्न-भिन्न सम्प्रदायमें हैं । यह सभा कांकेरके संतोष कुमार मरकामके घरपर होती थी । विरोध प्रदर्शनके मध्य ग्रामवासियोंने न केवल गांवमें पुनः धर्मान्तरण न होने देनेका संकल्प लिया; अपितु धर्मान्तरित हो चुके लोगोंकी ‘घर वापसी’की भी घोषणा की है ।
वहीं छत्तीसगढके जशपुरके साजबहार गांंवसे भी एक प्रकरण सामने आया है । यहांं सरपंच सोनम लकडाके घर ‘चंगाई’ सभामें ईसाई धर्मान्तरणका आरोप लगाया है । प्रार्थना सभामें हिन्दू समुदायके ४ लोग सम्मिलित थे । जिसके पश्चात भाजयुमोके कार्यकर्ता ‘भडक’ गए और सरपंचको हटानेकी मांंग करने लगे । राज्य शासनसे अवैध धर्मान्तरणपर तत्काल रोक लगानेकी मांग की गई है ।
ईसाई मतान्तरणके विरुद्ध ऐसे ही तीव्र प्रतिकार होना चाहिए । हिन्दू समाजको अन्तर्मुख होकर सनातन धर्मको परिपूर्णतासे आत्मसात करना चाहिए; इससे मतान्तरण तो स्वतः शून्य होंगे ही; साथ ही जीवनमें आध्यात्मिक प्रगति होते रहनेसे दैहिक, दैविक और भौतिक जीवन आनन्दमय और दिव्य रहेगा । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
स्रोत : ऑप इंडिया
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