पाकिस्तान ने भगत सिंह के मामले की फाइल के सभी रिकॉर्ड प्रदर्शित किए


लाहौर: भगत सिंह की शहादत के 87 वर्षों बाद पाकिस्तान ने शहीद-ए-आजम के मामले से जुड़ी फाइल के सभी रिकॉर्ड प्रदर्शित किए हैं.  पिछले दिनों पाकिस्तानी पंजाब प्रांत की सरकार ने भगत सिंह के मुकदमे की फाइल के कुछ रिकॉर्ड प्रदर्शित किए थे. पंजाब अभिलेखागार विभाग के निदेशक अब्बास चौधरी ने बताया, ‘‘ हमने भगत सिंह और उनके सहयोगियों के मुकदमे से जुड़े सभी रिकॉर्ड प्रदर्शनी में प्रदर्शित कर दिए हैं. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ लोगों की शानदार प्रतिक्रिया को देखते हुए हमने प्रदर्शन की तारीख को आगामी रविवार तक बढ़ाने का फैसला किया है.

इससे पहले, हमने इसे एक दिन के लिए खोलने का फैसला किया था. ’’  भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 को फांसी दी गई थी. अभिलेखागार विभाग ने सोमवार को भगत सिंह के उस आग्रह का भी प्रदर्शन किया जो इस महान क्रांतिकारी ने 27 अगस्त, 1930 के आदेश की प्रति मांगी थी. ‘ हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी’ के पोस्टर, भगत सिंह को समर्पित किताबें और कविताओं, लाहौर में उस वक्त बम फैक्टरी के मिलने, रिवाल्वर बरामदगी से जुड़ी रिपोर्ट की प्रतियां तथा दूसरे दस्तावेजों को प्रदर्शित किया गया.

जब मोहम्‍मद अली जिन्‍ना ने दी श्रद्धांजलि
भगत सिंह का जन्‍म पाकिस्‍तान के लायलपुर में हुआ था. वह अविभाजित भारत के दौर में आजादी के लिए लड़े. भारत के साथ-साथ पाकिस्‍तान में भी उनको क्रांतिकारी नायक का दर्जा दिया जाता है. इसी कड़ी में पाकिस्‍तान में पंजाब सरकार ने कहा कि वह भारत और पाकिस्‍तान दोनों के ही हीरो हैं. इसको इस तरह से भी समझा जा सकता है कि पाकिस्‍तान में उनको वहां के सर्वोच्‍च वीरता सम्‍मान निशान-ए-हैदर दिए जाने की मांग उठी है. इस संबंध में पाकिस्‍तान में एक भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन की स्‍थापना की गई है. इस संगठन में इसी जनवरी में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार को ताजा याचिका देकर कहा कि भगत सिंह ने उपमहाद्वीप की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया था.इसने अपने आवदेन में कहा, ‘‘पाकिस्तान के संस्थापक कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने स्वतंत्रता सेनानी को यह कहते हुए श्रद्धांजलि दी थी कि उपमहाद्वीप में उनके जैसा कोई वीर व्यक्ति नहीं हुआ है.’’ संगठन ने कहा, ”भगत सिंह हमारे नायक हैं और वह मेजर अजीज भट्टी की तरह ही सर्वोच्च वीरता पुरस्कार (निशान-ए-हैदर) पाने के हकदार हैं जिन्होंने भगत सिंह की वीरता पर लिखा था और उन्हें हमारा नायक तथा आदर्श घोषित किया था.”

23 साल की उम्र में 23 मार्च को फांसी
भगत सिंह को 23 साल की उम्र में लाहौर में 23 मार्च,1931 को ब्रिटिश शासकों ने फांसी दे दी थी. उन पर अंग्रेज सरकार के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में मुकदमा चलाया गया. ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी सैंडर्स की हत्या के मामले में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू के खिलाफ केस दाखिल किया गया था.



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