दिसम्बर ११, २०१८
देहलीमें शीघ्र ही लोगोंको दफनानेके लिए कब्रिस्तानमें स्थान नहीं बचेगा ! ऐसा देहली अल्पसंख्यक आयोगके एक ब्यौरेमें दावा किया गया है । देहलीके मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवालने आयोगके वार्षिक ब्यौरा जारी किया, जिसमें ये ज्ञात हुआ है कि देहलीकी कब्रगाहोंमें अब बहुत अल्प स्थान ही शेष रह गया है । आयोगने इस प्रकरणपर २०१७ में ‘ह्यूमन डेवलपमेंट सोसाइटी’केद्वारा सर्वेक्षण करवाया था । सर्वेक्षणके विवरणमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं ।
सर्वेक्षणके अनुसार, देहलीमें प्रत्येक वर्ष औसतन १३,००० मुस्लिमोंके शव दबाए जाते हैं । वर्तमान समयमें देहलीमें ७०४ कब्रिस्तान हैं, जिनमेंसे केवल १३१ में ही शवोंको दफनाया जा रहा है । इनमेंसे भी १६ ऐसे हैं, जिनपर अभियोग चल रहे हैं । इसी कारणसे शव दफन नहीं हो पा रहे हैं ।
इसके अतिरिक्त ४३ ऐसे कब्रिस्तान हैं, जहांपर अवैध निर्माण कर दिया गया है । इसमें यह भी बताया गया है कि नगरके अधिकतर कब्रिस्तान छोटे हैं, जो १० बीघा या उससे कममें बने हैं और उनमेंसे ४६ प्रतिशत ५ बीघा या उससे कम क्षेत्रमें बने हैं ।
वहीं, इस विवरणके सामने आनेके पश्चात अल्पसंख्यक आयोगके अध्यक्ष जफ्फरूल इस्लाम खानने सरकारको कुछ सुझाव भी दिए है, जिसमें कहा गया है कि अब अस्थिर कब्रगाह बनाई जानी चाहिए, ताकि कुछ समय पश्चात एक कब्रके स्थानपर ही दूसरी कब्र तैयार की जा सके ।
वहीं, मुस्लिम धर्मगुरु शाही इमाम मोहिबुल्लाह नदवीकी मानें तो इस विवरणके सामने आनेके पश्चातसे चिंताएं काफी अधिक बढ गई हैं । धर्मगुरु कहते हैं कि इस्लाममें मरनेके पश्चात शवको दफनाना एक आवश्यक प्रक्रिया है, ऐसेमें सरकारोंको इसपर ध्यान देना चाहिए । आयोगके इस विवरणपर सरकार भिन्न-भिन्न संस्थाओंसे सुझाव मांगकर शीघ्र कोई समाधान निकालनेकी बात कर रही है, क्योंकि यदि इस ओर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया तो मुस्लिम समुदायका विरोध भी सरकारको झेलना पड सकता है ।
“मुसलमानोंकी संख्या प्रत्येक स्थानपर कुकुरमुत्तेकी भांति बढ रही है, तो इतनी भूमि तो बिल्कुल ही नहीं दी जा सकती है तो क्या हिन्दुओंको सीएनजी दाह संस्कारका परामर्श देने वाले बुद्धिजीवी मुसलमानोंके लिए कुछ परामर्श देंगें ? अथवा विरुद्घ परामर्श केवल हिन्दुओंको दिशाहीन व दिगभ्रमित करने हेतु ही है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : आजतक
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