जनवरी २२, २०१९
मदरसोंकेद्वारा कहीं न कहीं आतंकी विचारोंको आश्रय मिल रहा है । इस विषयपर उत्तरप्रदेश ‘शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड’के अध्यक्ष वसीम रिजवीका कुछ ऐसा मानना है । उन्होंने कहा कि बच्चोंका मन और मष्तिष्क कोमल होता है और उन्हें सरलतापूर्वक अनुचित राहकी ओर मोडा जा सकता है । ऐसेमें ये आवश्यक है कि मदरसोंको बंद कर दिया जाए । यदि प्राथमिक मदरसोंको नहीं बंद किया गया तो १५ वर्षोंमें आधेसे अधिक मुसलमान ‘आईएसआईएस’की विचारधाराके समर्थक हो जाएंगे ! अपने तर्कके समर्थनमें वो कहते हैं कि ये देखा गया है कि कोई भी अभियन चलानेके लिए बच्चोंको लक्ष्य बनाया जाता है और इस समय ‘आईएसआईएस’ विश्वका एक भयावह आतंकी संगठन है । यह संगठन धीरे-धीरे विश्वमें मुस्लिम जनसंख्यावाले क्षेत्रोंमें अपनी पकड सशक्त कर रहा है ।
कश्मीरमें बहुत बडी संख्यामें ‘आईएसआईएस’के समर्थक घूमते हुए दिख रहे हैं । बडे स्तरपर मदरसेमें इस्लामिक शिक्षा लेनेवाले बच्चोंको आर्थिक सहायता पहुंचाकर इस्लामिक शिक्षाके नामपर उनको दूसरों धर्मोंसे पृथक किया जा रहा है और सामान्य शिक्षासे दूर किया जा रहा है । हिन्दुस्तानमें ग्रामीण क्षेत्रोंमें चल रहे प्राथमिक मदरसे धनके लोभमें हमारे बच्चोंके भविष्यको नष्ट करनेपर लगे हैं ।
“मदरसे राष्ट्रमें आतंकके बीजके रूपमें कार्यरत हैं, यह बात चीन जैसे राष्ट्र समझ चुके हैं, जो वहां वो सभी मदरसों व इस्लामिक गतिविधियोंको बन्द करवा रहे हैं, मुसलमान होते हुए वसीम रिजवी जैसे विवेकशील लोगोंको यह समझ आता है; परन्तु यह सरलसा तथ्य तुष्टिकरणमें अन्धे हुए भारतके नेताओंको समझ नहीं आता है । भारतमें आए दिन मदरसों व मौलवियोंकी राष्ट्रद्रोही गतिविधियोंके प्रमाण मिलते हैं, तदोपरान्त हमारा उन्हें प्रतिबन्धित न करना ‘आ बैल मुझे मार’की स्थिति है । केन्द्र शासन इसपर गम्भीरतासे विचार कर, शीघ्रताशीघ्र कार्यवाही करे, अन्यथा आज जो भारतके अनेक राज्योंकी स्थिति हो गई है, वह सभी राज्योंकी होनेमें समय नहीं लगेगा और तब स्थिति अत्यन्त विकट होगी ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : टाइम्सनाउ न्यूज
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