सुरक्षाबलोंने घाटीमें इस वर्ष अबतक १०१ आतंकियोंको मार गिराया है । सेनाके अधिकारियोंके अनुसार, मार्चसे अबतक ५० युवा विभिन्न आतंकी संगठनोंमें सम्मिलित हो चुके हैं । बडी संख्यामें स्थानीय युवाओंका आतंकी संगठनोंसे जुडना चिंताका विषय है ।
अधिकारियोंके अनुसार, हमें सुरक्षा बनाए रखनेके लिए और युवाओंको आतंकी बननेसे रोकनेके लिए अन्य उपाय खोजने होंगें । यहांतक कि युवाओंको कट्टरताके रास्तेपर जानेसे रोकनेके लिए उनके परिवारोंको भी शिक्षित करना होगा ।
उन्होंने बताया कि ३१ मई २०१९ तक १०१ आतंकी मारे गए । इनमें २३ विदेशी और ७८ स्थानीय आतंकी सम्मिलित हैं । मारे गए आतंकियोंमें अल-कायदाके संगठन ‘अंसार गजवत-उल-हिंद’का कथित प्रमुख जाकिर मूसा भी सम्मिलित है । यद्यपि, मूसाकी मृत्युके पश्चात ‘अंसार गजवत-उल-हिंद’में सम्मिलित होनेवाले आतंकियोंकी संख्यामें वृद्धि हुई है ।
आतंकीके विरुद्ध अभियानोंमें सम्मिलित और रणनीति बनानेवाले अधिकारियोंका मानना है कि आतंकरोधी नीतिमें विचार करनेकी आवश्यता है, जिससे कट्टरतासे होनेवाली हानिके बारेमें युवाओं और उनके परिजनोंको शिक्षित किया जा सके ।
अधिकारीयोंके अनुसार, शोपियांमें २५ आतंकी मारे गए, जिनमें १६ स्थानीय सम्मिलित हैं । वहीं, पुलवामामें १५, अवंतीपोरामें १४ और कुलगाममें १२ आतंकी मारे गए । यद्यपि, इन क्षेत्रोंसे अभी भी बडी संख्यामें युवा आतंकी सगंठनोंमें सम्मिलित हो रहे हैं । घुसपैठकी घटनाओंमें भी वृद्धि हुई है । कुछ आतंकी पुंछ और जम्मूके राजौरीसे घुसपैठ करनेमें भी सफल हुए हैं । इससे सुरक्षाबलोंके लिए घाटीमें स्थिति और भी चुनौती पूर्ण हो गई है ।
कश्मीरमें बंदूक उठानेवाले युवाओंकी संख्यामें २०१४ के पश्चात निरन्तर वृद्धि हो रही है । संसदमें प्रस्तुत ब्यौरेके अनुसार, २०१४ में ५३, २०१५ में ६६ और २०१६ में ८८ युवा आतंकी संगठनोंमें सम्मिलित हुए ।
अधिकारीयोंका मानना है कि १४ फरवरीको पुलवामामें हुए आतंकी आक्रमणके पश्चात आतंकियोंके विरुद्ध होनेवालीं मुठभेड विरोध प्रदर्शनोंमें परिवर्तित हो जाते हैं और स्थानीय नागरिक सुरक्षाबलोंपर पथराव भी करते हैं । इसके अतिरिक्त आतंकियोंके शवयात्रापर भी बडी संख्यामें लोग एकत्र होते हैं ।
केन्द्र आतंक समर्थक युवाओंके पत्थर और गोलियोंका उत्तर पुष्प बिछाकर, एक हाथमें कम्प्यूटर देकर, निःशुल्क शिक्षा, सुविधाएं आदि देकर चुकाता रहा है, तदोपरान्त शिक्षित आतंकी सज्ज हो रहे हैं व और भी आतंकी बन रहे हैं, इसका अर्थ स्पष्ट है कि मौलवियोंद्वारा मदरसों और मस्जिदोंमें जो आतंकका बीज बोया है, वह आकार ले चुका है तो वह परिवर्तित करना लगभग असम्भव है और वह तबतक नहीं परिवर्तित होगा, जबतक हम तुष्टिकरण करते रहेंगें । इन युवाओंके मनमें इनका भविष्य नहीं है, वरन जिहाद है और जिहादियोंको उन्हींके ढंगसे उत्तर मिलना चाहिए, तभी ये सुधरेंगें और साथ ही इनके मुख्य स्रोत इस्लामिक संस्थानों, मदरसोंपर जब ताले लगेंगें, तभी यह खेल बन्द होगा; अतः भारत शासन कठोर कार्यवाहीको सज्ज रहे । – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
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