यदि बच्चेको अनिष्ट शक्तिका कष्ट होता है तो उन्हें नींद न आना, भोजन न करना, पढाईमें मन न लगाना, पढ़ाई अधूरी छोड़ देना, छोटी उम्र में व्यसन लगना, गालियाँ देना या सदा मारपीट करना, अत्यधिक शरारत करना, रात में सोते समय डर कर उठ जाना, सदा चिड- चिड करना जैसे कष्ट होते हैं ! ऐसे होनेपर छोटे बच्चेके सो जानेपर सिरपर हाथ रखकर “श्री गुरुदेव दत्त ॐ नमः शिवः” का जप एकके बाद एक इस प्रकार, दो वर्ष तक कष्टकी तीव्र अनुसार एकसे दो घंटे करें और यदि बच्चा नामजप बोल सकता है तो उसे नामजप कराएँ और लिख सकता है तो यह नामजप लिखायें ! साथ ही प्रत्येक मंगलवार और शनिवारको बच्चेकी दृष्टि उतारें और उसे नमक मिश्रित पानी और गौमूत्रसे पहले स्नान कराएँ और तत्पश्चात साधारण स्नान कराएँ ! पिछले एक वर्षसे भारत भ्रमण कर रही हूँ और ऐसा देखनेमें आया है कि माता-पिता बच्चेसे सम्बंधित भिन्न-भिन्न कष्टसे अत्यधिक परेशान हैं और उसे दूर करनेके लिए वे अनके प्रकारके मानसिक और बौद्धिक स्तरके प्रयास भी कर चुके हैं परन्तु बच्चों में विशेष सुधार नहीं हुए | आजकल हमारी जीवन शैली आधुनिकीकरण की दौड़में तमोगुणी होती जा रही है फलस्वरूप बच्चोंको गर्भसे ही अनिष्ट शक्तियों का कष्ट रहता है और ऐसे बच्चे ज्यों-ज्यों बड़े होते हैं उनके कष्टका प्रकटीकरण अनेक समस्याओंके माध्यमसे होने लगता हैं अतः बच्चोको शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक पोषणके साथ ही आध्यात्मिक पोषण भी अवश्य दें यह काल की मांग है !-तनुजा ठाकुर
Gud knowledge distribution. Thqs