फरवरी २४, २०१९
झारखण्ड शासनने मद्य विक्रय निजी हाथोंमें सौंपनेका निर्णय लिया है । शासनके इस निर्णयका उद्देश्य राजस्वमें वृद्धि करना है और इसके लिए प्रदेशमें मद्यकी दुकानें बढाकर १६६४ तक करनेका निर्णय लिया गया है । सरकारद्वारा २०१७ में मद्यके खुदरा विक्रयका अधिग्रहण करनेके पश्चात राजस्वमें अपेक्षित वृद्धि नहीं होनेके कारण यह निर्णय लिया गया है ।
आबकारी विभागके एक अधिकारीने बताया, ‘निजी पक्षोंको लॉटरीकेद्वारा दुकान आवंटनके लिए आवेदन मंगानेका काम शनिवार, २३फरवरीसे आरम्भ हो गया है । आवेदन चार मार्चतक मंगाए जाएंगे और पांच मार्चसे लॉटरी आरम्भ होगी ।’ अधिकारीने बताया कि शासनने १६६४ दुकानें खोलनेकी योजना बनाई है, जिसमेंसे ७१८ भारतमें बननेवाली विदेशी मद्यकी, ५६५ देसी मद्यकी दुकानें होंगी और शेफ मिश्रित दुकानें होंगी ।
“यदि आज शासनमें सनातन परम्परानुसार विद्वानजन राजाके परामर्शदाता होते, ऐसा हास्यास्पद प्रकरण न होता ! राजा और मन्त्री जब तमोगुणी हों तो ऐसे निराधार व बुद्धिहीनता प्रधान योजनाएं ही आती हैं । राजस्व बढानेके लिए मद्य विक्रय बढाएंगें, तदोपरान्त नशा मुक्ति केन्द्रपर कोटि रूपये व्यर्थ करेंगें ! क्यों न इसए स्थानपर गौपालनकर स्वदेशी कृषिको बढाकर, घर-घर गौदुग्ध भेजा जाए, जैविक गैस बनाई जाए, मद्यसे १०० गुणा राजस्वमें वृद्धि तो इसीमें है; परन्तु जब शासनकर्ताओंके गुण धर्म ही मद्यपानके हैं तो वहीं नियम आएंगें; अतः अब पुनः व्यव्स्था परिवर्तनकर संस्कारोंको समाजमें रोपनेकी आवश्यकता है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : नभाटा
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