संस्कृत भाषाका सौन्दर्य एवं अद्वितीयता (uniqueness)
एक शब्दमें एक शब्द जुडा और जो शब्द बना, वह भी एक ही शब्द है; परन्तु उसका अर्थ परिवर्तित हो गया !
उसी शब्दमें एक शब्द और जोडिए और पुनः कोई नूतन शब्द जोडिए ! इस प्रकार जो शब्द बनेगा, उसका कोई नूतन अर्थ होगा, जो आपको आनन्दित करेगा । यहां एक उदाहरण प्रस्तुत है, इसका (संस्कृतका) आनन्द लें :-
अहिः = सर्पः
अहिरिपुः = गरुडः
अहिरिपुपतिः = विष्णुः
अहिरिपुपतिकान्ता =
लक्ष्मीः
अहिरिपुपतिकान्तातातः = सागरः
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्य: = रामः
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ता = सीता
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरः = रावणः
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयः = मेघनादः
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयनिहन्ता = लक्ष्मणः
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदाता = हनुमान्
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजः = अर्जुनः
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखा = श्रीकृष्णः
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतः = प्रद्युम्नः
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतः = अनिरुद्धः
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्ता = उषा
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातः = बाणासुरः
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातसम्पूज्यः = शिवः
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातसम्पूज्यकान्ता = पार्वती
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातसम्पूज्यकान्तापिता = हिमालयः
अहिरिपुपतिकान्तातातसम्पूज्यकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातसम्पूज्यकान्तापितृशिरोवहा = गङ्गा,
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