इंदौरके श्री. दिनेश दवेकी अनुभूति
धर्मप्रसार हेतु जाते समय प्रार्थना न होनेके कारण दुर्घटनाका होना
वर्ष २०१४ की अमावस्यासे पूर्व पूज्या तनुजामांने स्पष्ट रूपसे आश्रममें रह रहे सभी साधकोंसे कहा था कि गुरुपूर्णिमासे पूर्वकी यह अमावस्या है; अतः सभी साधक सतर्क रहें, अनिष्ट शक्तियां हमारी गुरुपूर्णिमामें सहभागिता न हो, इस हेतु अडचनें निर्मित कर सकती हैं । पूज्या मांने मुझसे विशेष रूपसे कहा था कि यह आपकी प्रथम गुरुपूर्णिमा है; इसलिए आपको अत्यधिक सतर्क रहना है तथा नामजप एवं प्रार्थनापर ध्यान देना है । अमावस्याको जब हम गुरुपूर्णिमा निमित्त भिक्षाटनकी सेवा (समाजसे धर्मकार्य हेतु अर्पण लेना) हेतु जा रहे थे तब भी पूज्या मांका यह निर्देश मेरे ध्यानमें था, हम तीन साधक दो, दोपहिया वाहनोंसे प्रस्थान कर रहे थे । मैं और सुभव गोएल, एक वाहनपर थे, उसे वे चलाना चाहते थे । जब उन्होंने वाहन आरम्भ किया तब मैंने उन्हें विशेष रूपसे सतर्क करते हुए भगवान शिवसे कवच मांगनेको कहा और हमने शिवजीसे कवच मांगा और हम सेवा हेतु निकल गए; किन्तु कुछ ही देर पश्चात दुर्घटना हो गई । आश्रम आनेपर पूज्या मांके कवच और प्रार्थना सम्बन्धी प्रश्नपर हमने उत्तर दिया कि हमने तो कवच मांगा था; तथापि दुर्घटना हो गई !
उस समय इसका कारण हमारी समझमें नहीं आया और पूज्या मां भी आश्चर्यचकित थीं और व्यस्त भी थीं । उन्होंने मेरे लिए हलदीवाला दूध ‘गर्म’कर सिद्ध (तैयार) किया तथा मुझे विश्रामका निर्देश देकर किसी आवश्यक सामग्री क्रय करने हेतु, एक साधकके साथ विपणि (विपणन केन्द्र, बाजार) चली गईं । कुछ समय उपरान्त सभी अपनी-अपनी सेवाओंमें व्यस्त हो गए; किन्तु कुछ दिवस पूर्व अनायास मुझे ध्यान आया कि हम (मैं और सुभव) जिस वाहनपर थे उसके चक्रोंमें (पहियों) वायु (हवा) न्यून थी और जिधर हम जाना चाहते थे, उस मार्गमें गड्ढे बहुत थे; इसलिए हमारा उस वाहनसे जाना सम्भव नहीं था; क्योंकि वह निश्चित रूपसे ‘पंक्चर’ हो जाता; अतः हमने वह वाहन हमारे साथ जा रही एक सहसाधिकाको देकर उनका वाहन ले लिया; किन्तु उसपर कवच मांगना भूल गए और अनिष्ट शक्तियोंने इसी चूकका लाभ उठाकर हमारी दुर्घटना करवा दी, जो गुरुकृपासे निष्प्रभावी रही ।
पूज्या मांकी कृपा हम सभीपर इसी प्रकार बनी रहे, यही ईश्वरसे प्रार्थना है । – दिनेश दवे, उपासना आश्रम – गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश (१५.०७.२०१४)
Leave a Reply