जून २९, २०१९
भारतमें विक्रय होनेवाले संसाधित आयोडीन युक्त नमकमें प्राणघातक पोटेशियम फेरोसायनाइड जैसे कर्करोग उत्पन्न करनेवाले और हानिकारक घटक भयानक स्तरतक पाए जाते हैं । इस बातका दावा अमेरिकाकी एक प्रयोगशालाके ब्यौरेमें किया गया है । यह जानकारी सुरक्षित नमकके लिए अभियान चलानेवाले एक कार्यकर्ताने दी है ।
‘गोधुम ग्रैन्स एंड फॉर्म्स प्रोडक्ट्स’के अध्यक्ष शिव शंकर गुप्ताने बताया कि अमेरिकाकी ‘वेस्ट एनालिटिकल लैबोरेटरीज’की जांचमें ज्ञात हुआ है कि देशके कुछ शीर्ष ब्रांडके नमकमें पोटेशियम फेरोसायनाइडकी मात्रा ४.७१ से लेकर १.९० मिलीग्राम प्रति किलोग्राममें पाई गई है । विभागके अनुसार उसकी ओरसे भारतीय नमक उत्पादक कंपनियोंसे निरन्तर प्रतिक्रिया लेनेका प्रयास किया गया; परन्तु किसीने भी कोई उत्तर नहीं दिया है ।
हानिकारक तत्वोंसे युक्त नमकके विरुद्घ अभियान चलानेवाले गुप्ताने कहा कि विश्वके किसी भी देशमें खानेवाले नमक या अन्य खाद्य सामग्रियोंमें पोटैशियम फेरोसायनाइड युक्त नमकके प्रयोगकी आज्ञा नहीं है । गुप्ताने दावा किया है कि खाद्य नमक निर्माण उद्योगमें अग्रणी कंपनियां आयोडीन और साइनाइड जैसे भयानक रसायनोंसे लदे औद्योगिक कचरेको सामान्य रूपसे पुनः पैककर बाजारमें इसे खाद्य नमकके रूपमें विक्रय कर रही हैं, जिससे लोग कर्करोग, हाइपरथायरायडिज्म, उच्च रक्तचाप, नपुंसकता, मोटापा, गुर्देकी विफलता इत्यादि जैसे रोगोंकी चपेटमें आ रहे हैं ।
उनका कहना था कि ये कंपनियां नमकको संसाधित करनेके ढंग भी गुप्त रखती है । नमकको संशोधित करनेके लिए रसायनोंका उपयोग करती हैं । नमकमें स्वाभाविक रूपसे आयोडीन रहता है; परन्तु ये कंपनियां उसमें अलगसे आयोडीन मिला रही हैं, जो खाद्य नमकको विष बनानेका कार्य कर रहा है । गुप्ताने यह भी कहा कि शासकीय विभागों और उत्पादक कम्पनियोंकी मिलीभगतसे आयोडीन युक्त नमकके नामपर उपभोक्ताओंको लूटा जा रहा है ।
नमक उत्पादक इकाइयोंमें काम करनेवाले कर्मचारियोंके प्राणोंके साथ भी ये कंपनियां खेल रही हैं । उनका कहना है कि आरटीआईसे ज्ञात हुआ है कि भारतके किसी बडे नमक उत्पादक कम्पनीने परीक्षण या लाइसेंसके लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरणमें ( एफएसएसएआई ) आवेदन नहीं किया है । इसके अतिरिक्त देशमें ऐसा कोई शोधशाला भी नहीं है, जहां नमकमें सायनाइडकी मात्राकी जांच हो सके ।
“यह भारतकी खाद्य सुरक्षा विभागकी सत्यताको दिखाता है । जब खाद्य सुरक्षा विभाग कोई कार्य कर ही नहीं रहा है तो शासन इस विभागपर पैसे क्यों व्यर्थ कर रहा है ? शासन या तो यह विभाग ही बन्द करें; क्योंकि विश्व भरका विष भारतमें खुलेमें विक्रय होता है या इस विभागपर कडी कार्यवाही करे । हिन्दुस्तानके लोगोंको कई आयुर्वेदाचार्य वर्षोंसे यह सत्य बता रहे हैं; परन्तु अब यह अमेरिकाकी प्रयोगशालामें उजागर हो गया है तो सम्भवतः अब लोग सुधरेंगें और आयोडीनके स्थानपर सैन्धव लवणका प्रयोग करेंगें ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : जनसत्ता
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