ईश्वरीय कार्य में अपने सामर्थ्य अनुसार भागीदार बने !!!


krishna govardhan3

जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था तब गोप -गोपियाँ यह देख तालियाँ नहीं बजा रहे थे वरन सब अपनी अपनी लाठीयां लगा अपना योगदान देना चाहते थे ! उन्हें पता थे भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत उठाने में सक्षम हैं परंतु वे इस ईश्वरीय कार्य में अपनी क्षमता अनुसार योगदान देना चाहते थे ! इसे भाव कहते हैं ! जब भगवान श्री राम लंका जाने के लिए समुद्र पर पुल बना रहे थे तब एक गिलहरी अपनी गीली शरीर में बालू में लेप पुल बनाने में अपना योगदान दे रही थी ! यह दोनों घटना हमें ईश्वरीय कार्य में अपने सामर्थ्य अनुसार भागीदार बनेने की प्रेरणा देते हैं ! कालानुसार धर्म संस्थापना का कार्य होने ही वाला है , मात्र, हम इतिहास के भागीदार बनते हैं या मात्र साक्षीदार यह हमारे पुरुषार्थ पर निर्भर करता है !-तनुजा ठाकुर



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution