एक असामान्य कदम के तहत, चीन के एक रणनीतिक विश्लेषक ने अरूणाचल प्रदेश के साथ बीजिंग के राष्ट्रीय जुनून पर सवाल उठाए और कहा कि यह राज्य देश के लिए खास महत्वपूर्ण नहीं है और देश के लिए कोई विशिष्ट संपत्ति नहीं है।
चीन अरूणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत मानकर उसपर दावा करता है और अप्रैल में बीजिंग ने वहां तिब्बती आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा के दौरे के जवाब में प्रदेश के छह जगहों के नाम चीनी में रखते हुए उसे स्वीकृति दी थी।
चीन के सरकारी मीडिया ने कहा था कि इन जगहों का फिर से नाम रखने के पीछे का उद्देश्य अरूणाचल प्रदेश पर चीन के दावे की पुष्टि करना है। लेकिन दलाई लामा के साथ अरूणाचल गए केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने साफ किया था कि राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा है।
रणनीतिक विश्लेषक वांग ताओ ताओ ने एक चीनी वेबसाइट के लिए लिखे गए अपने लेख में कहा, ‘वैसे चीन और भारत के बीच कई सालों से विवादित क्षेत्र को लेकर संबंधों में उतार-चढाव आते रहे हैं, लेकिन चीन के लिए अरूणाचल प्रदेश कोई विशिष्ट संपत्ति नहीं है।
यह लेख ऐसे समय आया है जब सिक्किम के डोकलाम क्षेत्र में चीनी जवानों द्वारा एक सड़क के निमार्ण का प्रयास करने के बाद से भारत और चीन एक महीने से अधिक समय से सीमा विवाद में उलझे हुए हैं।
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