ध्यानावस्थाकी पराकाष्ठा वह है कि जब आप जागृत अवस्थामें भी अखंड ध्यान और परम शांतिकी अनुभूति लेते हैं


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यदि कुछ ध्यानमार्गीको प्रकाश दिखाई देता है और ध्यानमें कुछ क्षण एकाग्रता अनुभव होता है तो उन्हें लगता है कि उन्हें आत्मसाक्षात्कार हो गया !  तो ध्यान रखें जब जागृत अवस्थामें भी आपका मन निर्विचार रहने लगता है और आसपासके प्रसंग आपके मनको विचलित नहीं करता है और मनमें स्थिरता बनी रहती है तो ही समझ सकते हैं कि अध्यात्मके एक महत्वपूर्ण चरणको साध्य कर लिया है | ध्यानावस्थाकी पराकाष्ठा वह है कि जब आप जागृत अवस्थामें भी अखंड ध्यान और परम शांतिकी अनुभूति लेते हैं  अर्थात ध्यान करनेकी आवश्यकता समाप्त हो जाती है ! जब आपके मन कोई कोई भय , चिंता और विकारसे उद्वेलित नहीं होता और आप अनासक्त होकर अनेक वर्ष कर्मरत रहते हैं तो उसे आप स्थितप्रज्ञताकी स्थिति साध्य करना कहते हैं | – तनुजा ठाकुर

 



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