नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार (11 अगस्त) को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘100 प्रतिशत आश्वस्त किया है’ कि वह पीडीपी-भाजपा सरकार के गठबंधन के एजेंडे के साथ हैं और अनुच्छेद 370 के साथ किसी तरह की ‘छेड़छाड़ नहीं’ की जाएगी. महबूबा ने प्रधानमंत्री मोदी से आज ऐसे समय में मुलाकात की जब ऐसी अटकलें लगायी जा रही हैं कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने वाले संवैधानिक प्रावधान को प्रभावित करने की कोशिशों को रोकने के लिए वह समर्थन जुटाने में लगी हुई हैं.
करीब 15 मिनट की बैठक के बाद महबूबा ने कहा कि पीडीपी और भाजपा के बीच गठबंधन के एजेंडा के अनुसार अनुच्छेद 370 की यथास्थिति को लेकर किसी तरह की ‘छेड़छाड़’ नहीं की जानी चाहिए. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘यह एजेंडा की बुनियाद है और कोई भी इसके खिलाफ नहीं जा सकता है. प्रधानमंत्री का जवाब सकारात्मक है. प्रधानमंत्री ने गठबंधन के एजेंडे को लेकर शत प्रतिशत आश्वासन दिया है.’ यह बैठक संविधान के अनुच्छेद 35ए को लेकर चल रही चर्चा की पृष्ठभूमि में हुई. इस संवैधानिक प्रावधान से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है और इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी है.
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को जम्मू-कश्मीर की मुश्किल हालात और धीरे-धीरे हो रहे सुधार के बारे में अवगत कराया. उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों को लग रहा है कि उनकी पहचान खतरे में पड़ जाएगी. इस तरह का संदेश चाहिए कि ऐसी कोई बात नहीं है.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर कठिन स्थितियों का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद मुस्लिम बहुल राज्य होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर ने ‘हमारे देश, भारत’ से जुड़ने का फैसला किया था.
उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर की विविधता अनूठी है, जहां सबकुछ भिन्न है. यह मुसलमानों की बहुलता वाला राज्य है. यहां हिन्दू भी रहते हैं, सिख और बौद्ध धर्म को मानने वाले भी. इसको देखते हुए जम्मू-कश्मीर की स्थिति विशिष्ट है. भारत की परिकल्पना के साथ जम्मू-कश्मीर की परिकल्पना को समायोजित किये जाने का प्रश्न है.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष हालात फिर से खराब हो गये थे और अब जख्म भर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘ऐसे समय में अनुच्छेद 35ए को लेकर चर्चा से प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह (अनुच्छेद 35ए से संबंधित) की चर्चा नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आखिरकार जम्मू-कश्मीर देश का अहम हिस्सा है.
महबूबा के मुताबिक जम्मू-कश्मीर देश का ताज है. उन्होंने कहा कि यह मुस्लिम बहुल राज्य था और दो राष्ट्र के सिद्धांत को खारिज करते हुए इस देश के साथ जुड़ा. आकांक्षाओं और पहचान को हमेशा जीवित रखने के लिए ऐसा किया गया था. महबूबा ने कहा, ‘और वह पहचान जीवित रहनी चाहिए.’ हालांकि राज्य सरकार में शामिल भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रवक्ता वीरेंद्र गुप्ता ने गुरुवार (10 अगस्त) को कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को अलविदा कहने का समय आ गया है क्योंकि इससे ‘अलगाववादी मानसिकता’ पनपी है.
धारा 35ए को संविधान में राष्ट्रपति के आदेश पर 1954 में जोड़ा गया. इसके तहत जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार और सुविधाएं दी गई हैं और इसकी विधायका को कोई भी कानून बनाने का अधिकार है, जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती. इस प्रावधान के तहत जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को छोड़कर सभी भारतीयों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने व राज्य प्रायोजित छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ पाने से रोका गया है.
इस धारा को दिल्ली के एनजीओ वी द सिटिजन्स ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है, जिस पर केंद्र सरकार ने बीते महीने कहा कि इस धारा को असंवैधानिक घोषित करने के लिए इस मुद्दे पर पर्याप्त बहस करने की जरूरत है. एनजीओ ने दलील दी है कि राष्ट्रपति 1954 के आदेश से संविधान में संशोधन नहीं कर सकते और इसे एक अस्थायी प्रावधान माना जाना चाहिए. जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा गुरुवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी इस मामले को लेकर मिलीं.
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