जनवरी ६, २०१९
जम्मू कश्मीरकी पूर्व मुख्यमन्त्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती बीजेपीके साथ गठबन्धनसे पृथक होनेके पश्चात जहां एक ओर दलको एकत्र करने और अपने धरातलको खोजनेके लिए राजनीतिक संघर्ष कर रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर वे निरन्तर स्थानीय लोगों सहानुभूति लेनेका प्रयास कर रही हैं ।
इसी सन्दर्भमें महबूबाने कश्मीरको एक राजनीतिक मुद्दा बताते हुए कहा कि इसे सैन्य शक्तिके बलपर नहीं सुलझाया जा सकता है । उन्होंने कहा कि सेनाको उनके साहसके लिए अभिनेताकी भांति प्रस्तुत किया जाता है; परन्तु यदि वे मानवाधिकार उल्लंघन करते हैं तो उन्हें भी उत्तरदायी बताए जानेकी आवश्यकता है ।
महबूबाने कहा कि वे तौसीफ वानीके घर गईं, जिसे एक सेनाध्यक्षने बुरे ढंगसे पीटा, जिसके पश्चात तौसीफको चिकित्सालयमें प्रविष्ट कराना पडा । महबूबाने कहा कि सबसे विचित्र बात यह है कि उसका भाई सेनामें अपनी सेवाएं दे रहा है; इसलिए हमारे ऊपर सेनाका मनोबल गिरानेका आरोप लगानेके स्थानपर सत्य देखना चाहिए ।
उधर, मानवाधिकार उल्लंघनपर पीडीपी अध्यक्षके दिए वक्तव्यके पश्चात बीजेपी नेता प्रधानमन्त्री कार्यालयमें मन्त्री जितेन्द्र सिंहने कहा यदि कोई आतंकी मुठभेडमें मारा जाता है तो ऐसे नेता तुरन्त अपनी सहानुभूति व्यक्त करते हैं; परन्तु एक सुरक्षाबल जो अपना कर्त्तव्य निभा रहा है, उसके पक्षमें एक भी सहानुभूतिके शब्द नहीं बोले जाते हैं ।
जितेन्द्र सिंहने कहा कि अब कश्मीरके लोग इस द्विपक्षीय व्यवहारको समझ गए हैं । चुनाव निकट है; इसलिए कुछ विधानसभा क्षेत्रोंको प्रसन्न करनेके लिए वह ऐसा करनेका प्रयास कर रही हैं ।
उधर, महबूबा मुफ्ती के बयान की जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कड़ी आलोचना की है।
उन्होंने कहा, “मतदानका समय है, उनकी पार्टी टूट रही है, बुरी स्थितिमें हैं । वो इसीप्रकारके आश्रयसे सत्तामें आई थी, उनको गम्भीरतासे लेनेकी आवश्यकता नहीं है । हमारे सुरक्षाबलोंका किसी महबूबा मुफ्तीके वक्तव्यसे मनोबल नहीं गिरने दिया जाएगा ।”
“क्या सेनाध्यक्ष पागल हैं, जो सेनामें सेवाएं दे रहे व्यक्तिके भाईको ही पीटेंगें ? अवश्य ही उसने कुछ किया होगा । आतंकीसे सैनिक बने व्यक्तिको शासनने अशोक चक्र दिया, हुतात्मा सैनिक औरंगजेबको इतना सम्मान दिया गया, उसके पश्चात भी ओछी राजनीतिके लिए ऐसे घृणित वक्तव्य महबूबा मुफ्तीका राष्ट्रद्रोह ही है । ऐसे देशद्रोहियोंका राष्ट्रमें अब कोई स्थान नहीं होना चाहिए !” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : नभाटा
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