विशेष लेख


विवाहमें सात फेरे ही क्यों लेते हैं ?

प्रायः यह प्रश्न उठता है कि हिन्दू विवाहके समय अग्निके समक्ष सात फेरे ही क्यों लेते हैं ? तत्पश्चात यह प्रश्न उठता है कि क्या फेरे लेना आवश्यक है ?

सर्वप्रथम हम पाणिग्रहणका अर्थ समझकर लेंगे :

पाणिग्रहण संस्कारको सामान्य रूपसे ‘विवाह’के नामसे जाना जाता है । वरद्वारा नियम एवं वचन स्वीकारोक्तिके पश्चात कन्या, अपना हाथ वरके हाथमें तथा वर, अपना हाथ कन्याके हाथमें सौंपकर एक-दूसरेका पाणिग्रहण करते हैं । कालान्तरमें इस प्रथाको ‘कन्यादान’ कहा जाने लगा, जो अनुचित है ।

कन्या, निम्नलिखित मन्त्रके साथ अपना हाथ वरकी ओर बढाए तथा वर, उसे अङ्गुष्ठ (अंगुठा) सहित अर्थात समग्र रूपसे पकड ले । भावना करे कि दिव्य वातावरणमें परस्पर मित्रताके भाव सहित एक-दूसरेके उत्तरदायित्वको स्वीकार कर रहे हैं ।

ॐ यदैषि मनसा दूरं, दिशोऽ नुपवमानो वा ।

हिरण्यपणोर् वै कर्ण, स त्वा मन्मनसां करोतु असौ ॥ – पार.गृ.सू. १.४.१५

विवाहका अर्थ : विवाहको ‘शादी’ अथवा ‘मैरिज’ कहना अयोग्य है । विवाहका कोई समानार्थी शब्द ही नहीं है । विवाह = वि+वाह; अत: इसका शाब्दिक अर्थ हुआ – विशेष रूपसे (उत्तरदायित्वका) वहन करना ।

विवाह, एक संस्कार : अन्य धर्मोंमें विवाह, वर एवं वधूके मध्य एक प्रकारकी प्रतिज्ञा होती है, जिसे विशेष परिस्थितियोंमें तोडा भी जा सकता है; किन्तु हिन्दू धर्ममें विवाह, भली-भांति सोच-समझकर किए जानेवाला संस्कार है । इस संस्कारमें वर एवं वधू सहित, सभी पक्षोंकी सहमति लिए जानेकी प्रथा है । हिन्दू विवाहमें पति-पत्नीके मध्य शारीरिक सम्बन्धसे अधिक आत्मिक सम्बन्ध होता है तथा इस सम्बन्धको अत्यन्त पवित्र माना गया है ।

सात फेरे, अर्थात सप्तपदी : हिन्दू धर्ममें १६ संस्कारोंको जीवनका सबसे महत्त्वपूर्ण अङ्ग माना जाता है । विवाहमें जबतक ७ फेरे नहीं हो जाते, तबतक विवाह संस्कार पूर्ण नहीं माना जाता है । न एक फेरा कम, न एक अधिक । इसी प्रक्रियामें दोनों ७ फेरे लेते हैं, जिसे ‘सप्तपदी’ भी कहा जाता है । ये सातों फेरे अथवा पद, ७ वचनोंके साथ लिए जाते हैं । प्रत्येक फेरेका एक वचन होता है, जिसे पति-पत्नी आजीवन साथ निभानेकी प्रतिज्ञा करते हैं । ये ७ फेरे ही हिन्दू विवाहकी स्थिरताका मुख्य स्तम्भ होते हैं । अग्निके ७ फेरे लेकर तथा ध्रुव ताराको साक्षी मानकर दो तन, मन एवं आत्मा, एक पवित्र बन्धनमें बन्ध जाते हैं ।

सात अङ्कका महत्त्व : ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि भारतीय संस्कृतिमें ७ की सङ्ख्या मानव जीवनके लिए बहुत विशिष्ट मानी गई है । सङ्गीतके ७ सुर, इन्द्रधनुषके ७ रङ्ग, ७ ग्रह, ७ तल, ७ समुद्र, ७ ऋषि, सप्त लोक, ७ चक्र, सूर्यके ७ घोडे, सप्त रश्मि, सप्त धातु, सप्त पुरी, ७ तारे, सप्त द्वीप, ७ दिन, मन्दिर अथवा मूर्तिकी ७ परिक्रमा आदिका उल्लेख किया जाता रहा है ।

इसी प्रकार जीवनकी ७ क्रियाएं, अर्थात शौच, दन्त धावन, स्नान, ध्यान, भोजन, वार्ता व शयन ।

७ प्रकारके अभिवादन, अर्थात माता, पिता, गुरु, ईश्वर, सूर्य, अग्नि व अतिथि ।

प्रातःकाल ७ पदार्थोंके दर्शन, अर्थात गोरोचन, चन्दन, स्वर्ण, शङ्ख, मृदङ्ग, दर्पण व मणि ।

७ आन्तरिक अशुद्धियां, अर्थात ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, लोभ, मोह, घृणा व कुविचार । उक्त अशुद्धियोंको हटानेसे मिलते हैं, ये ७ विशिष्ट लाभ, अर्थात जीवनमें सुख, शान्ति, भयका नाश, विषसे रक्षा, ज्ञान, बल व विवेककी वृद्धि ।

स्नानके ७ प्रकार, अर्थात मन्त्र स्नान, मौन स्नान, अग्नि स्नान, वायव्य स्नान, दिव्य स्नान, मसग स्नान व मानसिक स्नान । शरीरमें ७ धातुएं, अर्थात रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा व शुक्र ।

७ गुण, अर्थात विश्वास, आशा, दान, निग्रह, धैर्य, न्याय व त्याग ।

७ पाप, अर्थात अभिमान, लोभ, क्रोध, वासना, ईर्ष्या, आलस्य व अति भोजन ।

इन सभी तथ्योंको ध्यानमें रखते हुए अग्निके भी ७ फेरे लेनेका ही प्रचलन है, जिसे ‘सप्तपदी’ कहा गया है । वैदिक तथा पौराणिक मान्यताओंमें भी ७ अङ्कको पूर्ण माना गया है । कहते हैं कि पूर्वमें ४ फेरोंका ही प्रचलन था । मान्यता अनुसार, ये जीवनके ४ पडाव, अर्थात धर्म, अर्थ, काम व मोक्षके प्रतीक थे ।

हमारे शरीरमें ऊर्जाके ७ केन्द्र हैं, जिन्हें ‘चक्र’ कहा जाता है । ये ७ चक्र हैं, मूलाधार (शरीरके प्रारम्भिक बिन्दुपर), स्वाधिष्ठान (गुदास्थानसे कुछ ऊपर), मणिपुर (नाभि केन्द्र), अनाहत (हृदय), विशुद्ध (कण्ठ), आज्ञा (ललाट, अर्थात दोनों नेत्रोंके मध्यमें) तथा सहस्रार (शीर्ष भागमें, जहां शिखा केन्द्र है) ।

उक्त ७ चक्रोंसे जुडे हैं हमारे ७ शरीर, अर्थात स्थूल, सूक्ष्म, कारण, मानस, आत्मिक, दिव्य व ब्रह्म शरीर ।

विवाहकी सप्तपदीमें उन शक्ति केन्द्रों व अस्तित्वकी परतों अर्थात शरीरके गहनतम रूपोंतक तादात्म्य बिठानेका विधान रचा जाता है । विवाह करनेवाले, दोनों ही वर-वधूके मध्य शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक रूपसे एक-दूसरेके प्रति समर्पण व विश्वासका भाव निर्मित किया जाता है ।

मनोवैज्ञानिक दृष्टिसे : दोनोंसे ईश्वरकी शपथके साथ जीवनपर्यन्त साथ निभानेका वचन लिया जाता है; इसलिए भी विवाहकी सप्तपदीमें ७ वचनोंका महत्त्व है ।

सप्तपदीमें प्रथम पग भोजन व्यवस्था हेतु, द्वितीय पग शक्ति सञ्चय, आहार तथा संयम हेतु, तृतीय धनकी प्रबन्ध व्यवस्था हेतु, चतुर्थ आत्मिक सुख हेतु, पञ्चम पशुधन सम्पदा हेतु, षष्ठम सभी ऋतुओंमें उचित रहन-सहन हेतु तथा अन्तिम ७ वें पगमें कन्या अपने पतिका अनुगमन करते हुए सदैव साथ चलनेका वचन लेती है तथा सहर्ष जीवनपर्यन्त पतिके प्रत्येक कार्यमें सहयोग देनेकी प्रतिज्ञा करती है ।

‘मैत्री सप्तपदीन मुच्यते’ अर्थात एकसाथ, मात्र ७ पग चलने मात्रसे ही, दो अपरिचित व्यक्तियोंमें भी मैत्री भाव उत्पन्न हो जाता है; अतः जीवनभरका साथ निभानेके लिए प्रारम्भिक ७ पदोंकी गरिमा एवं प्रधानताको स्वीकार किया गया है ।

७ वें पगमें वर, कन्यासे कहता है, “हम दोनों ७ पग चलनेके पश्चात परस्पर सखा बन गए हैं । मन, वचन व कर्मके प्रत्येक तलपर पति-पत्नीके रूपमें हमारा प्रत्येक पग एकसाथ उठे; इसलिए आज अग्निदेवके समक्ष हम साथ-साथ ७ पग रखते हैं । हम अपने गृहस्थ धर्मका जीवनपर्यन्त पालन करते हुए एक-दूसरेके प्रति सदैव एकनिष्ठ रहें तथा पति-पत्नीके रूपमें जीवनपर्यन्त हमारा यह बन्धन अटूट बना रहे, हमारा प्रेम ७ समुद्रोंकी भांति विशाल एवं गहरा हो ।” (लेखक अज्ञात)



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution

Fatal error: Uncaught Error: Call to undefined function WPB\MissedScheduledPostsPublisher\wp_nonce_tick() in /home/u600064039/domains/vedicupasanapeeth.org/public_html/hn/wp-content/plugins/missed-scheduled-posts-publisher/inc/namespace.php:39 Stack trace: #0 /home/u600064039/domains/vedicupasanapeeth.org/public_html/hn/wp-content/plugins/missed-scheduled-posts-publisher/inc/namespace.php(165): WPB\MissedScheduledPostsPublisher\get_no_priv_nonce() #1 /home/u600064039/domains/vedicupasanapeeth.org/public_html/hn/wp-includes/class-wp-hook.php(308): WPB\MissedScheduledPostsPublisher\loopback('') #2 /home/u600064039/domains/vedicupasanapeeth.org/public_html/hn/wp-includes/class-wp-hook.php(332): WP_Hook->apply_filters(NULL, Array) #3 /home/u600064039/domains/vedicupasanapeeth.org/public_html/hn/wp-includes/plugin.php(517): WP_Hook->do_action(Array) #4 /home/u600064039/domains/vedicupasanapeeth.org/public_html/hn/wp-includes/load.php(1124): do_action('shutdown') #5 [internal function]: shutdown_action_hook() #6 {main} thrown in /home/u600064039/domains/vedicupasanapeeth.org/public_html/hn/wp-content/plugins/missed-scheduled-posts-publisher/inc/namespace.php on line 39