दिसम्बर ३, २०१८
निरीक्षण मण्डलने (सेंसर बोर्डने) ‘केदारनाथ’को प्रदर्शनकी आज्ञा दे दी है । पद्मावत और लवयात्रीसे उपजे विवादोंके पश्चात भी एक अत्यंत विवादास्पद चलचित्रको अनुमति देकर निर्धारित कर दिया है कि देशका वातावरण पुनः बिगडने जा रहा है । निरीक्षण मण्डलकी गहरी निद्रा अब आश्चर्यचकित नहीं करती । यदि यह केदारनाथकी भीषण आपदा जैसे संवेदनशील विषयपर ऐसा कसैला निर्णय बेहिचक ले सकता है तो कलको ‘महाभारत’ और ‘रामायण’की छीछालेदरपर भी उसका ये रवैया जारी रहने वाला है !
जब केदारनाथके प्रोमो दूरदर्शनपर आना आरम्भ हुए तो सहसा विश्वासस नहीं हुआ कि ये चलचित्र हमने बन जाने दी है । चलचित्रमें आपत्तिजनक तो बहुत कुछ है; लेकिन इसमें कहे गए दो संवादोंने हिन्दू समाजको रोष प्रकट करनेपर विवश कर दिया है । नायिकाका पंडित पिता कहता है ‘प्रलय आ जाए तब भी ये सम्बन्ध नहीं हो सकता’ । इसपर लडकी कहती है, ‘फिर मैं प्रलयके लिए प्रार्थना करुंगी’ । चलचित्रके निर्देशक अभिषेक कपूर कहना चाहते हैं कि एक पण्डितने अपनी पुत्रीका विवाह एक मुस्लिमसे करनेके लिए मना कर दिया, इसलिए केदारनाथमें भयानक विनाश हुआ !
इसके तुरंत बाद निर्माता और निर्देशक अभिषेक कपूरको तीखी प्रतिक्रियाओंका सामना करना पडा । यद्यपि निर्माता और निर्देशकको विरोधसे कोई अन्तर नहीं पडता । उनको ये अभिमान हो गया है कि वे कैसी भी चलचित्र बना सकते हैं और उन्हें रोकनेकी शक्ति न सरकारमें है, न ही निरीक्षण मण्डलमें ।
फिल्मके एक दृश्यमें नायक मंसूर केदारनाथके व्यवस्थापकोंको कह रहा है कि हम श्रद्धालुओंकी संख्याको सीमित करे । क्या निर्देशकको ज्ञात भी है कि केदारनाथ आपदाका मूल कारण क्या था ? केदारनाथकी बाढ लडकीके श्रापके कारण आती है । अधिक भीड बढनेसे व्यवस्थाएं बिगड जाती है । ये कहानी और ये दिव्य ज्ञान आप कहांसे लाए हैं निर्देशक महोदय ।
सारे विरोधोंको नकारते करते हुए चलचित्र ७ दिसम्बरको प्रदर्शित होने जा रही है । जैसे ही चलचित्र सिनेमाघरोंमें होगी, पहले ही प्रकाशनके पश्चात स्थितियां बिगडनेकी पूरी सम्भावनाएं हैं । जब छोटे बच्चे ये फिल्म देखकर निकलेंगे तो उनके दिमागमें ये नया ज्ञान होगा कि पंडित पिताने अपनी पुत्रीकी बात नहीं मानी; इसलिए केदारनाथमें बाढ आई । यदि उसका विवाह मंसूरके साथ होता तो सम्भवतः भोलेनाथ जल प्रलयको टाल देते । देशके सेंसर बोर्डको अब मृत मान लेना चाहिए ।
स्रोत : इण्डिया स्पीकस डेली
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