दिसम्बर २९, २०१८
मध्यप्रदेशके मुख्यमन्त्री कमलनाथने नवगठित मन्त्रिमण्डलके सदस्योंके मध्य विभागोंका विभाजन कर दिया है । सबसे महत्वपूर्ण माना जाने वाला वित्त मन्त्रालय १२वीं कक्षा तक शिक्षित मन्त्री तरुण भनोटको सौंपा है । इसको लेकर कांग्रेस शासनकी किरकिरी हो रही है । राज्यकी जबलपुर पश्चिम विधानसभासे निरन्तर दूसरी बार विधायक तरुण भनोट १२वीं उत्तीर्ण हैं !
कांग्रेस विधायक तरुणने १९९२ में पण्डित रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालयमें ‘बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग’के पाठ्यक्रममें बाहरवीं उत्तीर्ण करनेके पश्चात प्रवेश लिया था, परन्तु दो वर्षोंमें ही महाविद्यालय छोड दिया ।
इससे पूर्व वित्त मन्त्री रहे बीजेपी नेता जयंत मलैया ‘बैचलर ऑफ कॉमर्स’ (बी.कॉम.) और अधिवक्ता (वकील) थे ।
सूत्रोंके अनुसार, पूर्व मुख्यमन्त्री दिग्विजय सिंह अपने पुत्र जयवर्धन सिंहको वित्त विभाग दिलवाना चाहते थे, परन्तु दलके वरिष्ठ नेताओंने इस आपत्ति प्रकट की । नेताओंका मानना था कि इस महत्वपूर्ण मन्त्रालयमें दिग्विजय हस्तक्षेप करेंगें । इसको देखते हुए प्रकरण राहुल गांधी और अहमद पटेल तक जा पहुंचा । अन्ततः निर्धारित हुआ कि तरुण भनोटको वित्त और जयवर्धनको नगरीय विकास और आवास विभाग सौंपा जाए ।
माना जा रहा है कि तरुण भनोटको वित्त जैसा महत्वपूर्ण मन्त्रालय मिलनेका कारण मुख्यमन्त्री कमलनाथका निकटवर्ती होना है । भनोटने अपना प्रथम विधानसभा मतदान २०१३ में भाजपा नेता हरेंद्रजीत सिंह बब्बूको पराजितकर विजयी किया था । इसके पश्चात २०१८ में वह पुनः विजयी होकर विधानसभा पहुंचे ।
कांग्रेसके नेता स्वयं कह चुके हैं, राज्यका कोष रिक्त हो चुका है । ऐसेमें किसी अनुभवी या शिक्षित मन्त्रीके स्थानपर केवल १२वीं तक शिक्षित मन्त्रीको वित्त मन्त्रालय सौंपना अचम्भित करनेवाला निर्णय है ।
“ स्वतन्त्रताके पश्चात भी राष्ट्रकी यही विडम्बना रही है कि नेता अपने सम्बन्धियोंको आसीन करते हैं, फिर उसमें योग्यता हो अथवा नहीं । यह इसलिए होता है क्योंकि राजनीतिमें आना कोई देश सेवा न होकर केवल आजीविकाका एक माध्यम मात्र रह गया है, जिसमें इतना अर्जित करना है कि जीवन पर्यन्त अच्छेसे चले और अपने सभी सम्बन्धियोंको भी ध्यान रखा जाता है, ताकि वे भी जीवन पर्यन्तके लिए एकत्र करें !! ऐसे व्यक्तियोंसे क्या राष्ट्रके हितकी आशा की जा सकती है ?”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : जी न्यूज
Leave a Reply