मेरे पास कोई सिद्धि नहीं है मैं तो एक सामान्य सी गुरुभक्त हूं |


 एक व्यक्तिका पत्र आया है कि आपने सजीव (वनस्पति जगत) और निर्जीव जगतसे या सूक्ष्म जगतकी शक्तियोंसे सम्भाषण करने हेतु कौनसी सिद्धि प्राप्त की है ? उन्होंने सम्भवतः मेरे जालस्थलपर सूक्ष्म जगतसे सम्बन्धित मेरे लेख पढे होंगे !
       मेरे पास कोई सिद्धि नहीं है मैं तो एक सामान्य सी गुरुभक्त और इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्डमें अपने श्रीगुरुकी सूक्ष्म स्वरूपका दर्शन करती हूं, यदि उनके किसी स्वरूपको मुझसे सम्भाषणकी इच्छा होती है और वे अपने विचार मुझे प्रकट करते है तो मैं जैसे सूक्ष्मसे अपने श्रीगुरुसे सम्भाषण करती हूं, वैसे ही उनसे भी कर लेती हूं और इस हेतु किसी प्रकारकी सिद्धिकी आवश्यकता नहीं होती, यदि आवश्यकता होती है तो परमेश्वरके चर और अचर जगतके प्रत्येक स्वरूपसे निष्काम प्रेम करने की और शेष तो स्वतः ही साध्य हो जाता है ! मैं किसी भी प्रकारकी सिद्धि, शक्ति, पद-प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि हेतु अपने श्रीगुरुके कार्यमें सहभागी नहीं हुई और इस बातके साक्षी परमेश्वर हैं ! मैंने मात्र प्रेमवश सब किया है और वही प्रेम मेरे कार्य एवं मेरी साधनाकी प्रेरणा, शक्ति और अनुभूतियोंका माध्यम है !


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