अप्रैल २५, २०१९
‘बोर्ड’की परीक्षा छात्र जीवनमें सबसे महत्वपूर्ण परीक्षाओंमेंसे एक होती है । प्रत्येक बच्चा चाहता है कि वह अपनी बोर्ड परीक्षामें अच्छेसे अच्छे अंक प्राप्त करे और उत्तम भविष्यकी ओर अग्रसर हो; परन्तु क्या हो यदि बच्चोंको उनके परिश्रमका परिणाम अनुत्तीर्ण होकर मिले ? तेलंगानामें कुछ ऐसा ही हुआ है, जहां बोर्डकी परीक्षामें बैठे ९.७४ लाख बच्चोंमेंसे ३.२८ लाख छात्रोंको अनुत्तीर्ण कर दिया गया ।
१८ अप्रैलको ‘तेलंगाना बोर्ड ऑफ इंटरमीडिएट एजुकेशन’ने (टीएसबीआईईने) ११वीं और १२वींके परीक्षा परिणामोंकी घोषणा की थी, जिसके पश्चातसे अबतक अनुत्तीर्ण हुए १८ छात्र आत्महत्या कर चुके हैं ! छात्र समूहों और अभिभावकोंके विरोध-प्रदर्शनके पश्चात बुधवार, २४ अप्रैलको राज्य शासनने उन ३.२८ लाख बच्चोंकी उत्तर-पुस्तिकाएं पुनः जांचनेका आदेश दिया ।
सूचनाके अनुसार, तेलंगाना शासनने परीक्षा नामांकन और परिणामोंकी प्रक्रियाका अनुबन्ध (कॉन्ट्रैक्ट) एक निजी कंपनीको (Globarena Technologie) दिया था, जिसकी तकनीकी चूकोंके कारण छात्रोंको अनुत्तीर्ण कर दिया गया या फिर उन्हें परीक्षामें उपस्थित होनेके पश्चात भी अनुपस्थित दिखाया गया ।
‘इंडियन एक्सप्रेस’के अनुसार, जिन छात्रोंने आत्महत्या की है, उनमेंसे एक नाम जी.नागेंन्द्रका भी है । नागेंद्रने परीक्षा परिणाम देखनेके पश्चात अपने घरमें फांसी लगा ली । नागेन्द्र गणितमें अनुत्तीर्ण हो गया था, जबकि गणित उसका रुचिकर विषय था । दूसरी ओर वेनेल्ला नामक छात्रने १८ अप्रैलको कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली; क्योंकि उसे दो विषयोंमें अनुत्तीर्ण कर दिया गया था ।
‘तेलंगाना पेरेंट्स असोसिएशन’के अध्यक्ष एन.नारायणका कहना है कि उत्तर-पुस्तिकाकी मूल्यांकन प्रणालीमें तकनीकी चूक होनेके कारण मेधावी छात्रोंको कुछ विषयोंमें ५ से १० अंक भी मिले हैं और परीक्षामें सैकडों छात्रोंके उपस्थित होनेके पश्चात भी उन्हें अनुपस्थित दिखाया गया !!
लज्जाजनक बात यह है कि जब परीक्षाके परिणाम घोषित हुए तो निजी कम्पनीने तकनीकी चूकवाली बातको स्वीकार किया था; परन्तु बादमें कहा गया कि चूकोंमें सुधार कर लिया गया; परन्तु अब ऐसा लगता है जैसे समूची मूल्यांकन प्रक्रियामें ही चूकें हुई हैं । इसके कारण सुनहरे भविष्यकी कल्पना करनेवाले छात्रोंने स्वयंको अन्धकारके आधीन कर दिया ।
उल्लेखनीय है कि बुधवार, २४ अप्रैलको अभिभावकों और छात्रोंके विरोध प्रदर्शन उस समय तीव्र हुआ, जब जी.नव्या नामकी एक छात्राको तेलगू विषयमें शून्य अंक प्राप्त हुए; परन्तु जब पुनः मूल्यांकन किया गया तो उस छात्राने ९९ अंक प्राप्त किए !!!
“क्या शिक्षा प्रशासनके ऊपर कार्यका इतना भार पड गया कि ठेका निजी कम्पनियोंको दे दिया गया !! क्या राज्यमें शिक्षकोंकी इतनी कमी हो गई कि वे बालकोंकी प्रतिको परीक्षण करके अंक न दे सकें ? अशिक्षित और भ्रष्टाचारी नेता, शिक्षाकी कुर्सीपर बैठ जाते हैं तो वे शिक्षाका मोल क्या जानेंगें ? क्या उन बालकोंका जीवन वापस लाया जा सकता है ? शिक्षा मन्त्री सहित निजी कम्पनीपर क्यों नहीं हत्याओंका अभियोग चलना चाहिए ? यह कोई चूक नहीं है, यह १८ अबोध बालकोंकी हत्या है ! कठोर दण्ड विधान न होनेसे आज देशमें जिसे जो लगता है, अपने मनसे करता है, यह सब स्थितिको परिवर्तित करने हेतु कठोर दण्ड विधानकी आवश्यकता है, जो अब केवल धर्मनिष्ठ राष्ट्रकी स्थापनाके पश्चात ही सम्भव है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ़
स्रोत : ऑप इण्डिया
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