एक व्यक्तिने पूछा है कि आपको इतना अधिक कष्ट है तो आप आध्यात्मिक उपाय केंद्र (spiritual healing and counselling center) क्यों खोला है ?
उत्तर : भिन्न वर्गको होनेवाले कष्टका अध्यात्म शास्त्रीय कारण समझ लें !
सर्वसामान्य व्यक्तिको जो कष्ट होता है वह अधिकांशत: लगभग २० से ३० प्रतिशत शारीरिक, मानसिक कारणोंसे होता है, शेष कष्ट आध्यात्मिक कारणोंसे होता है |
साधकको आज के काल में ९० प्रतिशत कष्ट आध्यात्मिक कारणोंसे होता है | सर्व सामान्य व्यक्तिके आध्यात्मिक कष्ट व्यष्टि स्तरका कष्ट होता है अर्थात अर्थात प्रारब्ध, पितृ दोष, कुलदेवता प्रकोप, कुंडलिनीमें बाधा इत्यादिके कारण होता है अर्थात योग्य साधना और धर्माचरण न करनेके कारणों से होता है , वर्तमान कालमें साधकोके कष्ट ६० प्रतिशत व्यष्टि स्तर एवं ३० प्रतिशत कष्ट अनिष्ट शक्तिके कारण होता है जिससे वे साधनाको छोड़ दे |
संतोंका कष्ट २०प्रतिशत शारीरिक या प्रारब्द्धके कारण होता है शेष समष्टि कष्ट होता है ! यदि समाजमें अनिष्ट शक्तिका कष्टका प्रमाण बढ जाये तो संतोंको समष्टि प्रारब्धके कारण कष्ट होता है | कई संत तो समाज और साधकको कष्ट अधिक न सहन करना पड़े इस हेतु अपना तप समझकर कष्टको सहन करते हैं | यदि वे ईश्वर से प्रार्थना करेंगे तो उनके कष्ट त्वरित नष्ट हो जाएंगे, तब भी वे कष्ट सहन करते है, ऐसे भी संत इस संसारमें हैं ! अनिष्ट शक्तिके कष्टका प्रमाण बढ़ जाने के कारण और समाजमें उसके प्रति अनभिज्ञताके कारण जन जागरण हेतु यह केंद्र ईश्वरेच्छा अनुसार खोलना पड़ा है क्योंकि आनेवाले कालमें इस प्रकारके कष्टोंमें और अधिक वृद्धि होगी !-तनुजा ठाकुर
Leave a Reply