मेरे सूक्ष्म जगत संबंधी लेख पढनेपर कुछ व्यक्ति मुझसे पूछते हैं कि क्या मेरा सूक्ष्म देह मेरे शरीरसे बाहर आ सकता है, क्या उस क्रियाको मैं सहज कर सकती हूं या उसकी अनुभूति ली है ?
सूक्ष्म देहका स्थूल देहसे बाहर आकार भिन्न लोकोंमें जाना यह सब अध्यात्ममें गुरुकृपासे सहज संभव होता है ऐसी मेरी अनुभूति है परंतु हमने अपने श्रीगुरुसे सीखा है कि अध्यात्ममें हमारी जीवात्माने कहीं भी नहीं अटकना चाहिए तभी उस अनंत परमेश्वरसे हम एकरूप हो सकते हैं अतः अध्यात्ममें जब भी मुझे कोई अनुभूति होती है उसे मैं ईश्वरके श्रीचरणोंमें अर्पण कर उसके आगेकी अनुभूति हेतु प्रयत्न करती हूं और सदैव प्रार्थना करती हूं कि वे मुझे किसी भी प्रकारकी सिद्धि एवं अनुभूतिमें अटकने न दें क्योंकि हमारा ध्येय उस निर्गुण निराकार परमेश्वरसे एकरूप होना है, मार्गमें दिखाई देनेवाले सुरम्य दृश्यको देखकर जो पथिक वही रुक जाता है वह अपने ध्येयको कभी भी साध्य नहीं आर सकता, इस तथ्यका सदैव स्मरणमें रखती हूं ! भक्तकी आर्ततासे की हुए प्रार्थना ईश्वर अवश्य सुनते हैं ऐसा मेरा दृढ विश्वास है !-परात्पर गुरु – तनुजा ठाकुर
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