धर्मान्धोंने दी हिन्दुओंको मालनेकी चेतावनी, जमशेदपुरसे ४०० हिन्दुओंका पलायन !!


जनवरी ८, २०१९

गत दिवसोंमें झारखण्डके जमशेदपुरमें दो गुटोंमें हुई झडप, पत्‍थरबाजी और हिन्दुओंके घरोंको लूटनेकी घटनाके पश्चात क्षेत्रमें तनाव व्‍याप्‍त है । मुस्लिम भीडद्वारा हिंसाकी आशंकासे सोमवार, ७ जनवरीको यहांके ‘श्रीराम आश्रम’से ४३ परिवार भाग गए हैं ! विवरणके अनुसार, तत्कालमें वहां परिवारोंको सुरक्षा प्रदान करनेके लिए पुलिस है; परन्तु मुस्लिमोंने चेतावनी दी है कि एक बार पुलिसके जानेके पश्चात, वे उनमेंसे प्रत्येकको मार देंगें ।


मुख्यमन्त्री रघुवर दासके प्रतिनिधि विधायक पवन अग्रवालने वहांं पहुंचकर पीडितोंको सुरक्षा उपलब्ध करानेका आश्वासन दिया है । मुख्यमन्त्रीके प्रतिनिधिने लोगोंको आश्वासन दिया कि बस्तीमें चारों ओर चारदीवारी विधायक निधिसे कराई जाएगी । इसके लिए थाना प्रभारी बर्मामाइंसने भी एसडीओ एवं सीओको दोनों समुदायोंकी समस्याका समाधान करनेके लिए पत्र लिखा है; परन्तु चिंताकी बात यह कि मुख्यमन्त्रीके आश्वासनके पश्चात लगभग ४०० लोग घर छोडकर भाग गए हैं ।

दैनिक जागरणके अनुसार, मुस्लिम इस आश्रमको इसलिए लक्ष्य बनाते थे; क्योंकि इसमे कुष्ठ रोगी और दिव्यांग रहते थे । प्रत्यक्षदर्शी रश्मी महतोने बताया, “क्योंकि हम सभी दिव्यांग हैं; इसलिए आए दिन वे (मुस्लिम) हमें लक्ष्य बनाते हैं और हमपर अत्याचार करते हैं । कल ८-१० महिलाओंके साथ भी उन्होंने दुर्व्यवहार किया और पुरुषोंको पीटा ! पुलिस होनेके पश्चात भी वे हमें चेतावनी दे रहे हैं । उनका कहना है कि जब पुलिस चली जाएगी, तब वे एक-एकको मार डालेंगें ।”

बताया जाता है कि मुस्लिमके कुछ बच्चे पतंग उडा रहे थे । थोडे समय पश्चात एक बच्चेकी पतंग आश्रम वाले बस्तीमें गिर गई । बच्चे अपनी पतंग लाने गए, जिससे आश्रमके कुछ लोगोंने बच्चोंको परामर्श देते हुआ पतंग वापस कर दिया । आरम्भिक झगडा कुछ समयमें शांत हो गया; परन्तु कुछ दिवसों पश्चात मुस्लिमोंने श्रीराम आश्रमके दिव्यांगोंपर पथराव आरम्भ कर दिया ! आश्रमके निवासियोंने इसकी परिवाद स्थानीय पुलिस स्टेशन बर्मामाइंस थानेमें की ।

 

क्या यह प्रमाण पर्याप्त नहीं है कि जिससे अनुमान लगाया जा सके कि स्वयंको आसमानी किताबका दूत बताकर शान्तिप्रिय समुदाय कहनेवाले कितने शांतिप्रिय हैं ? हिन्दू आज एकजुट नहीं है व उन्हें शस्त्रके नामपर लाठी भी चलाना नहीं आता है, दूसरी ओर धर्मान्ध झूंडमें अस्त्रों-शस्त्रोंके साथ आते हैं, यह कोई प्रथम प्रकरण नहीं है, पूर्वमें ऐसे अनेक प्रकरण हो चुकें हैं तो ऐसेमें यदि प्रत्येक राज्य कश्मीर या बंगाल बन जाए तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए !! अतः अब धर्मशिक्षण व धर्मराज्यकी स्थापना ही एकमात्र उपाय है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : ईपोस्टमोर्टम



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