सूक्ष्म इन्द्रियोंको जागृत कर उन्हें विकसित करनेके लाभ (भाग – ५)


आनेवाला काल प्रलयंकारी है, तब चारो ओर ‘त्राहि माम्’ मची होगी, एक दूसरेसे सम्पर्क करने हेतु ये सब मायावी अदुनिक वैज्ञानिक साधन (चलभाष, स्काइप, व्हाट्सएप, इ-मेल, टीवी चैनल) कहीं विश्व-युद्धके कारण तो कहीं गृह-युद्धके कारण तो कहीं प्राकृतिक आपदाके कारण अस्त-व्यस्त होकर उध्वस्त हो जाएंगे (आज कश्मीरमें ऐसी ही स्थिति है) । ऐसेमें एक-दूसरेसे सम्पर्क साधने या अन्य बहुतसे कार्य हेतु विकसित सूक्ष्म इन्द्रियोंकी ही सहायता लेनी पडेगी और वैसे भी हिन्दू राष्ट्रमें अन्तर्जाल, चलभाष इत्यादिकी सुविधा सामान्य जनमानसके लिए उपलब्ध नहीं होगी; क्योंकि बहुमूल्य मनुष्य जीवनको जो दिशाहीन करे, ऐसे आधुनिक वैज्ञानिक साधनोंको सामान्य मनुष्यको देना अर्थात अविवेकी बन्दरके हाथमें बम देने समान है ! इसलिए भी सूक्ष्म इन्द्रियोंको कालानुसार जागृत करनेकी आवश्यकता है । – तनुजा ठाकुर (२८.४.२०१८)



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