ब्राह्म मुहूर्तमें क्यों उठना चाहिए ?


२४ घण्टेमें ३० मुहूर्त होते हैं । ब्रह्म मुहूर्त रा‍त्रिका चौथा प्रहर होता है । सूर्योदयके पूर्वके प्रहरमें दो मुहूर्त होते हैं । उनमेंसे प्रथम मुहूर्तको ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं । दिन-रातका ३० वां भाग ‘मुहूर्त’ कहलाता है अर्थात २ घटी या ४८ मिनटका कालखण्ड मुहूर्त कहलाता है । उसके पश्चातवाला विष्णुका समय है, उस कालमें उषाकाल आरम्भ होता है; किन्तु सूर्य दिखाई नहीं  देता । वर्तमान घडीके अनुसार प्राय: प्रात: ४:२४ से ५:१२ का समय ब्रह्म मुहूर्तका काल होता है । (यह समय स्थान विशेषके सूर्योदयके समय अनुसार थोडा ऊपर नीचे हो सकता है । )
शास्त्रोंमें यही समय निद्रा त्यागके लिए उचित बताया गया है ।
मनुस्मृतिके अनुसार, ‘ब्राह्मे मुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी ।’
अर्थात प्रातःकालकी निद्रा पुण्यों एवं सत्कर्मोंका नाश करनेवाली है, इसलिए इस कालमें नहीं सोना चाहिए  ।
वर्ण कीर्ति यशः लक्ष्मीः स्वास्थ्यमायुश्च विन्दति।
ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छियं वा पंकजं यथा।। – भैषज्य सारः

अर्थ : ब्रह्ममुहूर्तमें उठनेवाला पुरूष सौन्दर्य, लक्ष्मी, स्वास्थ्य, आयु आदि वस्तुओंको प्राप्त करता है । उसका शरीर कमलके समान सुन्दर हो जाता है  ।
ब्रह्म मुहूर्तका पौराणिक –
वाल्मीकि रामायणके अनुसार, श्री हनुमान इसी कालमें अशोक वाटिका पहुंचे थे और उन्होंने सीता माताको वैदिक मन्त्रोंका पठन करते हुए देखा था  ।
ब्रह्म मुहूर्तमें उठनेके लाभ –
* इस समय सम्पूर्ण वातावरण शान्तिमय और निर्मल होता है । देवी-देवता इस कालमें विचरण कर रहे होते हैं । अनेक ऋषि-मुनि, साधु-सन्त, तपस्वी इस कालमें साधना करते हैं, अतः सम्पूर्ण दिवसकी अपेक्षा इस कालमें सत्व गुणोंकी प्रधानता रहती है । प्रमुख मंदिरोंके पट भी इसी मुहूर्तमें खोल दिए जाते हैं तथा भगवानका श्रृंगार व पूजन भी ब्रह्म मुहूर्तमें किए जानेका विधान है ।
* यह काल विद्या अध्ययनके लिए या ग्रंथ रचनाके लिए उत्तम माना गया है । इस कालमें शिव रुपी शांति तत्त्व अधिक कार्यरत होनेके कारण जीव अतिरिक्त सत्त्व गुण ग्रहण करनेमें सक्षम होता है, फलस्वरूप अध्ययनकी गई बातें स्मृति कोषमें सरलतासे संरक्षित होती हैं ।
* वैज्ञानिक शोधोंसे ज्ञात हुआ है कि ब्रह्म मुहुर्तमें वायुमण्डल प्रदूषणरहित होता है । इसी समय वायुमण्डलमें ऑक्सीजनकी (प्राणवायुकी) मात्रा सबसे अधिक (४१ प्रतिशत) होती है, जो फेफडोंकी शुद्धिके लिए महत्वपूर्ण होती है । शुद्ध वायु मिलनेसे मन, मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है । ऐसे समयमें नगरकी स्वच्छता निषेध माना गया है ।
* आयुर्वेदके अनुसार इस समय बहनेवाली वायुको अमृततुल्य कहा गया है । ब्रह्म मुहूर्तमें उठकर टहलनेसे शरीरमें संजीवनी शक्तिका संचार होता है ।


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