दंडका विधान आवश्यक है !


फरवरी २०१३ में जब मैं दुबईके हवाई अड्डेसे एक साधकके घर जा रही थी तो देखा कि सडकपर अनेक वाहन थे; परंतु वहां कोई भोंपूकी (हॉर्नकी) ध्वनि सुनाई नहीं दे रही थी, मुझे लेने आए साधकने बताया कि उस देशमें भोंपू बजाना मना है और यदि किसी व्यक्तिको मार्गपर वाहन चला रहे किसी और चालकको उसके कोई अयोग्य वर्तनका संकेत देना हो तो ही वाहन चालक एक बार भोंपू (हॉर्न) बजाता है और वह अपशब्द समान ही होता है। तो प्रश्न यह उठता है कि जो भारतीय यहां अत्यधिक असहनशीलता दिखाते हुए मार्गपर दो-दो मिनटमें भोंपू बजाते हैं वे वहां जाकर इतने अनुशासित कैसे हो जाते हैं ? तो कारण बडा सरल है वहां दंडका विधान अत्यधिक कडक है। वैसे ही मार्गके मध्य यदि कोई व्यक्ति मार्ग पार करना चाहता हो वाहन स्वतः ही रुक जाती है।  इस देशमें आए दिवस बस और चार चक्केवाले मार्ग चलनेवालोंको कुचलते रहते हैं और तो और पैदल मार्गपर (फुटपाथ) सोये व्यक्तिको कुचल देते हैं और एवं बिना दंडके निर्भय होकर घूमते हैं -तनुजा ठाकुर

 



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution