वर्ष १९९८ में जब मैंने अपने श्रीगुरुको प्रथम बार कहते सुना कि २००५ से २०२२ तकका काल विनाशकारी होगा और इस कालमें भक्ति ही हमारा एकमात्र कवच होगा तो उसी समयसे अपना सर्वस्व श्रीगुरु चरणोंमें अर्पित कर, हिंदुओंको इस तथ्य को बार बार बताकर भक्ति बढाने हेतु अपना समाजको जागृत करनेका प्रयास करती रही हूं ! अब हिन्दू न जागे तो मैं क्या, ईश्वर भी कुछ नहीं सकते हैं ! हिन्दू यह न भूले कि श्रीकृष्णके सारथी रहते हुए भी द्रौपदीके सारे पुत्र महाभारतके युद्धमें मृत्युको प्राप्त हुए थे, जब विनाशका काल आनेवाल हो तो उसकी पूर्वसिद्धता कुछ काल पूर्वसे ही करनी पडती है और मात्र अनन्य भक्तपर ही ईश्वरकी कृपा संपादित होती है ! जब आग लगे तब कुआं खोदनेका कोई लाभ नहीं होता ! – तनुजा ठाकुर
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