गुरुके प्रति अटूट भक्ति ही शिष्यकी शक्ति होती है


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गुरुके प्रति अटूट भक्ति ही शिष्यकी शक्ति होती है और यही शक्ति उसे द्वैतसे  अद्वैतकी ओर ले जाती है ! गुरु सेवामें लीन शिष्य ‘अहम् ब्रह्म अस्मि’ के भावमें कब रत हो जाता है उसे भी इसका भान नहीं होता ! इसे ही गुरु कृपा और सगुणसे निर्गुणकी ओर का आध्यात्मिक प्रवास कहते    हैं ! -तनुजा ठाकुर



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