शरीरकी शुद्धि मिट्टी, जल, उबटन, साबुन इत्यादिसे स्नान करनेपर हो जाता है; परंतु मनकी शुद्धि हेतु कोई बाह्य साधन प्रभावकारी नहीं होता क्योंकि मन सूक्ष्म होता है और विचारोंका पुंज होता है । सूक्ष्म मनको नियंत्रित (स्वच्छ) करने हेतु सूक्ष्म स्तरके मानसिक एवं आध्यात्मिक प्रयास करने पडते है । मानसिक स्तरपर अपने स्वभावदोषोंको दूर करने हेतु स्वयंसूचना देना एवं आध्यात्मिक स्तरपर योग्य साधना करना यह ही मनको नियंत्रित करनेका प्रभावी माध्यम है -तनुजा ठाकुर (२७.१.२०१४)
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