तमोगुणी ‘प्लास्टिक’के या अन्य कृत्रिम पदार्थके पुष्पोंका उपयोग करना टालें !


वर्तमान समयमें घरमें सजावट करने हेतु प्लास्टिकके या अन्य कृत्रिम पदार्थके पुष्पोंका उपयोग बढ रहा है । कृत्रिम पुष्पमें न ही देवत्त्व आकृष्ट करनेकी क्षमता होती है और न ही उससे वास्तुकी शुद्धि होती है, इसके विपरीत कृत्रिम पुष्प मृतवत होनेके कारण, घरमें अनिष्टकारी शक्तियोंको आकृष्टकर घरके वास्तुको अपवित्रकर, घरमें काली शक्तिका प्रक्षेपण करते हैं । हिन्दू धर्ममें तो पुष्पोंका भी वर्गीकरण सात्त्विक, राजसिक एवं तामसिक रूपमें किया गया है । अधिकांश विदेशी पुष्प तामसिक होते हैं; अतः वे देवताओंको नहीं चढाए जाते हैं । ख्रिस्ताब्द २०११ में जब दक्षिण भारत गई थी तो वहांके किसी देवालयके (मन्दिरके) धार्मिक उत्सवमें भी प्लास्टिकके केलेके स्तम्भ और प्लास्टिकके पुष्पसे सजावट देखकर मैं आश्चर्यचकित थी !

विदेशमें भी इटली, जर्मनीके अनेक देवालयोंमें हिन्दू प्लास्टिकके पुष्प एवं मालाओंसे सम्पूर्ण प्रांगणको एक तामसिक स्वरूप दे देते हैं ! इससे ज्ञात होता है कि हिन्दुओंको धर्मशिक्षण देनेकी कितनी अधिक आवश्यकता है । – तनुजा ठाकुर  (१२.६.२०१४ )



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