वर्तमान कालकी विदेशी चिकित्सा पद्धति है अपूर्ण !


आजके आधुनिक चिकित्सकोंको रोगियोंके उपचारके साथ ही साधना करनेकी है अत्यधिक आवश्यकता!

पूर्वकालमें वैद्य अच्छे स्तरके साधक होते थे; अतः वे रोगियोंका आधिभौतिक, आधिदैविक एवं आध्यात्मिक, तीनों ही स्तरपर परीक्षणकर उनका योग्य उपचार करते थे । वर्तमान कालकी विदेशी चिकित्सा पद्धतियां अपूर्ण हैं; फलस्वरूप आजके आधुनिक चिकित्सा शास्त्रमें (एलोपैथी) पारंगत चिकित्सक मात्र शारीरिक और मानसिक स्तरकी समस्याओंपर अर्थात मात्र आधिभौतिक स्तरपर ही उपाय बता पाते हैं । इतना ही नहीं, मैंने तो यह भी पाया है कि कुछ चिकित्सकोंके परीक्षण अत्यधिक सटीक होते हैं और वे एक कुशल चिकित्सकके रूपमें ख्याति प्राप्त करते हैं । मुझे यह बतानेमें तनिक भी संकोच नहीं है कि इसका भी मूल कारण उनके पूर्व जन्मोंकी साधना ही होती है; परन्तु इस जन्ममें स्वयं योग्य साधना नहीं करनेके कारण उन्हें अत्यधिक शारीरिक या मानसिक कष्ट होता है, साथ ही मैंने यह भी पाया है कि अनेक सुप्रसिद्ध आधुनिक वैद्योंको वृद्धावस्थामें अत्यधिक शारीरिक कष्ट होते हैं । इससे यह सिद्ध होता है कि उपचार करनेवालेको योग्य प्रकारसे साधना करनी आवश्यक है । कलियुगमें अधिकांश व्याधियां आध्यात्मिक स्वरूपकी होनेके कारण अर्थात प्रारब्धवश या सूक्ष्म अनिष्ट शक्तियोंके होनेके कारण जब चिकित्सक रोगीको ठीक करनेका प्रयास करते हैं तो एक प्रकारसे उनके प्रारब्धमें हस्तक्षेप करने समान या अनिष्ट शक्तियोंको छेडने समान है, ऐसी स्थितिमें यदि चिकित्सक योग्य साधना नहीं करता तो अंश प्रमाणमें ही सही; किन्तु उसे निकट भविष्यमें कष्ट होते ही हैं । आजकी निधर्मी शिक्षण पद्धतिसे उत्पन्न चिकित्सकोंमें नरमें नारायणका स्वरूप देखकर सेवा करनेवाले चिकित्सकोंका प्रमाण नगण्य ही है । वैदिक सनातन धर्ममें आयुर्वेदशास्त्रको एक श्रेष्ठतम धर्मग्रन्थ माना गया है एवं इनके मर्मज्ञको आचार्य कहकर, उन्हें सम्मान दिया जाता था; क्योंकि इस विधाको वे अपनी साधना मानकर ही जीवन व्यतीत करते थे । आजके आधुनिक वैद्यको इस दृष्टिकोणका तनिक भी भान नहीं है, उनके लिए तो चिकित्सक बननेका मुख्य कारण समाजमें प्रतिष्ठित वर्गमें सम्मिलित होना और धन अर्जित करना रह गया है, सेवा एवं साधनाके मूल उद्देश्योंका आजके चिकित्सकोंको विस्मरणसा हो गया है । – तनुजा ठाकुर (०९.१०.२०१४  )



One response to “वर्तमान कालकी विदेशी चिकित्सा पद्धति है अपूर्ण !”

  1. देव प्रताप राणा says:

    अति सुंदर ।

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