भावजागृति हेतु किए जानेवाले प्रयास (भाग – ३)


ईश्वरसे प्रतिदिन इसप्रकार प्रार्थना कर सकते हैं, इससे साधनाको भी गति मिलेगी और साथ ही भाव वृद्धि होनेसे मनुष्य जीवन सार्थक होगा
१.  हे प्रभु, मुझे दुःख सहनेकी शक्ति दें और प्रत्येक परिस्थितिमें मेरी साधना अविरत चलती रहे ऐसी आप कृपा करें ।
२. मेरा नामजप अखण्ड हो, इस हेतु आप ही मुझे प्रयास करना सिखाएं ।
३. मेरे चारों ओर आपके शस्त्रोंसे अभेद्य कवचका निर्माण हो, जिससे अनिष्ट शक्तियां मेरे मनमें अनावश्यक विचार न डाल सकें और मेरी सोच सकारात्मक एवं साधनाके प्रति निर्विकल्प रहे ।
४. मेरे मन एवं बुद्धिपर अनिष्ट शक्तियोंद्वारा निर्माण किया गया सूक्ष्म काला आवरण नष्ट हो ।
५. राष्ट्र एवं धर्मरक्षण हेतु मुझसे यथाशक्ति प्रयास हो, ऐसी मुझे सद्बुद्धि दें ।
६. मेरे व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक जीवनमें अनिष्ट शक्तियोंद्वारा जो भी अडचनें हैं, उन्हें दूर करने हेतु मुझसे क्षात्रवृत्तिसे प्रयास होने दें ।
७. मेरी भक्ति, शरणागति बढे, ऐसे मुझसे प्रयत्न होने दें ।
८. मेरे दोष और अहंको सतर्कतासे दूर करने हेतु प्रयास कर सकूं, इस हेतु आप मेरा योग्य मार्गदर्शन करें ।
९. मैं प्रत्येक परिस्थितिमें साधनाका दृष्टिकोण रख आचरण कर पाऊं, इस हेतु मेरी सीखनेकी वृत्ति बढे, ऐसी कृपा करें !
१०. आपकी कृपादृष्टि इस तुच्छ भक्तपर सदैव बनी रहे !



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