कलियुगमें शीघ्र आध्यात्मिक प्रगति हेतु गुरुकृपायोगका विहंगम मार्ग सर्वोत्तम है


कलियुगमें शीघ्र आध्यात्मिक प्रगति हेतु गुरुकृपायोगका विहंगम मार्ग सर्वोत्तम है | इस मार्गके अनुसार शीघ्र प्रगति क्यों होती है ? क्योंकि इस योगमार्गमें अनेक योग मार्गोंकी साधना समाहित होती है | जैसे गुरुकृपायोगसे साधना करनेवाले खरे अर्थमें कर्मयोगी होते हैं | वे गुरुको कर्त्तापन अर्पण कर, निष्काम भावसे अखंड कर्ममें रत रहते हैं | यहाँ तक कि संत पदपर आसीन होनेपर भी उनके कर्म करनेकी अखंडता बनी रहती है | उसी प्रकारसे इस योगमार्गसे साधना करनेवाले हठयोगी भी होते हैं क्योंकि गुरुका कार्य है मन, बुद्धि और अहम् का लय करना | अतः वे सब कुछ शिष्यके मनके विरुद्ध बताते हैं और शिष्य उसका पालन भी करता है | मनके विरुद्ध जाना ही खरा हठयोग है | इस मार्गके साधकका ध्यान ‘जिस प्रकार अर्जुनका ध्यान चिड़ियाकी आंखपर केन्द्रित था’, उसी प्रकार शिष्यका भी ध्यान गुरुचरणोंपर टिका रहता है; और ‘ध्यान ‘मूलं गुरोर मूर्ति’, की साधनामें रत शिष्यकी ध्यानयोगकी साधना सहज ही हो जाती है | इस मार्गमें श्रीगुरुसे अखंड ज्ञानकी गंगा प्रवाहित होती है और शिष्य उसमें डुबकियांले, साधना रत रहता है | अतः ज्ञानयोगकी साधना भी इस मार्गमें समाहित है; परन्तु सद्गुरुको ढूंढनेकी आवश्यकता नहीं है | सद्गुरु कोई देह नहीं हैं, वे एक सर्वज्ञानी, सर्वव्यापी तत्त्व हैं | जब तक आपके जीवनमें देहधारी सद्गुरु नहीं हैं, तब तक आप जिस आराध्य-देवका जप कर रहे हैं, वही आपके निर्गुण गुरु हैं | जैसे ही आपके मनमें सगुण गुरुको पानेकी इच्छा और उस हेतु प्रयत्न और भक्ति बढ़ जायेगी, सद्गुरु आपके जीवनमें स्वतः ही चले आयेंगे | ध्यानमें रखें, गुरु मिलना सरल है; तथापि शिष्य मिलना कठिन होता है | अतः सद्गुरु भी योग्य शिष्यकी खोजमें रहते हैं | आपके जीवनमें सद्गुरुका प्रवेश हो, इस हेतु आप निम्न प्रयत्न कर सकते हैं:
(१) अधिकसे अधिक योग्य नामजप करें |
(२) यदि घरमें पितृ-दोष हो, तो उसके निवारण हेतु प्रयास करें |
(३) धर्मकार्यर्में यथाशक्ति, तन-मन-धनसे सहयोग करें |
(४) अपने अहम् एवं स्वभाव-दोषके प्रति सतर्क रह कर उसे दूर करने हेतु प्रयत्न करें |
(५) धर्म-प्रसार करें, यह संतोंको प्रसन्न करनेका या उन्हें अपनी ओर आकृष्ट करनेका सर्वोत्तम मार्ग है |
(६) अपने व्यावहारिक समयमेंसे थोडा समय निकाल्रकर, निष्काम भावसे नियमित व्यष्टि एवं समष्टि साधना हेतु प्रयत्न करें | आपके जीवनमें उच्च कोटिके संतका पदार्पण स्वतः ही हो जाएगा | -तनुजा ठाकुर



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