अमरीकाके साधक श्री अभिनवकी अनुभूति देखेंगे


Rising Sun
मैं फेसबुकपर ‘पूज्या तनुजा मां’से एक मित्रके माध्यमसे जुडा जब मैंने मांकी एक दृष्टिकोणको अपने मित्रके किसी लेखपर पढा | जब मैंने मांके चित्रको देखा तो उनकी चेहरेसे प्रक्षेपित होनेवाली पवित्रता और तेजस्वितासे स्वतः आकृष्ट हो गया | उसके पश्चात जब मां कर्णावती (अहमदाबाद ) जाने वाली थीं तब मेरी उनसे बातचीत हुई जिससे कि वे मेरा परिवार भी उनसे मिल सके | इसी बीच मैं उनके सत्संग, प्रवचन और नामजप ‘साउंडक्लाउड’ के माध्यमसे सुनने लगा |
जब मैंने उनके कार्यको समझा तब मुझे लगा कि अमरीकामें भी अनेक लोगोंको हम साधना हेतु प्रेरित कर सकते हैं क्योंकि यहां धर्मके बारेमें हिंदुओंमें अत्यधिक अज्ञानता है और हिंदुओंको तीव्र अनिष्ट शक्तियोंका भी कष्ट है |
मैं एक वास्तु विशेषज्ञ हूं | और जब मैं अपने इस कार्यके लिए लोगोंके घर जाता हूं तो मुझे भान होता है कि उन स्थानपर और घरोंमें अनिष्ट शक्तियोंका प्रकोप है | मैंने पाया है कि लोग इस कष्टसे अत्यधिक व्यथित हैं और उनके पास कोई उपाय बतानेवाले योग्य व्यक्ति भी नहीं है | आजकी आधुनिक जीवन शैली, धर्माचरणका अभाव और शास्त्रोंके बारेमें अनभिज्ञताके कारण उनका वैयक्तिक जीवन नरक समान है |
मुझे लगने लगा कि मैं जो भी वास्तु दोषके उपाय करता हूं उसके साथ यदि लोग साधना भी करने लगें तो उनके घरके अनिष्ट शक्तियोंके कष्ट और शीघ्र कम हो जाएंगे | इसलिए मैंने तनुजा मांके सीडी खरीदकर अमरीका मंगवाए हैं और मैंने उसे लोगोंमें बांटने आरंभ कर दिये हैं | उसका प्रतिसाद भी उत्साहवर्धक है | जिस प्रकार मांने सारे विषयको बताकर उसके उपाय बताए हैं उससे उनकी उस विषयपर प्रभुत्त्व, स्पष्ट समझमें आता है और लोग तुरंत ही उनके वाणीका अनुकरण कर नामजप और नमक पानीका उपाय आरंभ कर देते हैं |
मेरी मां, भाभी और भतीजेने भी साधना आरंभ की है और उनके जीवन भी अनेक सुखद परिवर्तन आए हैं | ‘तनुजा मां’का उनके जीवनमें प्रवेश होनेपर मैं अत्यधिक सुरक्षित और निश्चिंत हो गया हूं |
पूज्या मांकी इस बारकी धर्मयात्राके मध्यमें मुझे भी उसमें सहभागी होनेकी तीव्र इच्छा हुई और दिनांक २.७.१२के दिन जब मैं सुबह उठा तो मुझे दृष्टांत हुआ कि मैं मांके सत्संगमें बैठा हूं | और सत्संग समाप्त होनेपर उन्होंने मुझे बुलाकर अनिष्ट शक्तिके कष्टके निवारणार्थ जागृति पैदा करनेके लिए मुझे विशेष आशीर्वाद दिये | मैं मांसे जुड़कर अपने आपको भाग्यशाली मानता हूं |

अनुभूतिका विश्लेषण : वैदिक सनातन धर्मके बताए हुई जीवन शैली हमारे सुखी जीवनके लिए सर्वोत्तम है | पाश्चात्य संस्कृति और आधुनिक जीवन प्रणाली पैशाचिक है, इससे हमारे जीवनमें कष्ट और मानसिक अशांति दोनों ही बढ़ जाती हैं | अनेक व्यक्तिको लगता है कि विदेश जानेपर धन-सम्पत्ति और सुख-ऐश्वर्य हो जानेपर हमारा जीवन सुखी हो जाएगा ,परंतु अभिनवकी बातोंसे स्पष्ट होता है कि वहां जानेपर यदि हमने धर्माचरण नहीं किया तो हमारा जीवन नरक समान हो जाता है | और भारतमें तो प्रत्येक कस्बेमें एक आध्यात्मिक दृष्टिसे उन्नत या एक संत आज भी हैं, विदेशोंमें ऐसा नहीं है अतः वहां अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट और अधिक प्रमाणमें है, जो भारतीय पैसेकी लालचमें वहां जाकर रहना चाहते हैं उन्होंने इस बातका ध्यान रखना चाहिये कि यदि वहां जाकर उनकी साधना और धर्माचरणका क्रम टूट गया तो निकट भविष्यमें अत्यधिक कष्ट सहन करने होंगे |

अभिनवका भाव अच्छा है, उनमें समष्टि साधना करनेके लिए तडप है और आध्यात्मिक स्तर भी 50% से अधिक है अतः उन्हें हमारी बातें तुरंत मनको जंच गईं | उनके प्रयास सराहनीय हैं | जब कोई साधक समष्टि साधना हेतु समाजमें जागृति निर्माण करता है तब ईश्वर उसके रक्षण हेतु आवश्यक शक्ति देते हैं, अभिनवको भी ईश्वरने मेरे स्वरूपमें आकर आशीष देकर उसे धर्मपथपर अग्रसर होने हेतु अनुभूति दी है | परात्पर गुरु – तनुजा ठाकुर



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