दुजाना की ऑडियो क्लिप में एक और खुलासा, सैन्यबलों के लिए बन सकती है चुनौती


नवीन नवाज, श्रीनगर। अल कायदा द्वारा कश्मीर में अपनी आमद के साथ जाकिर मूसा को संगठन का कमांडर बनाने का ऐलान करने के बावजूद राज्य पुलिस उसकी उपस्थिति को लेकर असमंजस में है। हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर जैसे आतंकी संगठन अलकायदा के वजूद को कश्मीर में नकार रहे हैं।

वहीं सुरक्षाबलों के हाथों मारे जा रहे आतंकियों के शवों पर पाकिस्तानी या इस्लामी ध्वज की जगह नजर आ रहा तौहीद का काला झंडा आइएस (इस्लामिक स्टेट) और अल कायदा की मजबूत होती पकड़ के साथ बढ़ते प्रभाव का संकेत दे रहा है।

सुरक्षाबलों के साथ जब भी मुठभेड़ में कोई आतंकी मारा जाता रहा है और उसे दफनाया जाता है तो उसके परिजन या समर्थक शव पर पाकिस्तानी ध्वज या फिर इस्लामिक ध्वज ही रखते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। मारे गए आतंकियों के शवों पर अब तौहीद का झंडा नजर आ रहा है। आतंकियों के जनाजों में जीवे-जीवे पाकिस्तान के बजाय मूसा-मूसा जाकिर मूसा गूंज रहा है। हालांकि 12 जुलाई को मारे गए आतंकी सज्जाद गिलकार के शव को पहले इस्लामिक और पाकिस्तानी झंडे के साथ ही कफन पहनाया गया था, लेकिन कुछ लोगों ने इन झंडों को उतार उसकी जगह तौहीद का झंडा व आइएस का झंडा रख दिया था।

पिछले सप्ताह भी दक्षिण कश्मीर में एक आतंकी के शव पर तौहीद का झंडा नजर आया और शुक्रवार को फिर अनंतनाग के शीरपोरा में आतंकी यावर का शव भी इसी झंडे में लिपटा था। यावर के शव पर तौहीद का झंडा इसलिए भी अहमियत रखता है, क्योंकि यावर को सुरक्षा एजेंसियां हिज्ब आतंकी मानती हैं। हिजबुल मुजाहिदीन ने भी उसे अपना आतंकी माना है, लेकिन शव पर पाकिस्तानी या हिजबु़ल का झंडा नहीं था।

इससे पूर्व पुलवामा में दुजाना के साथ मारे गए आरिफ ललहारी के शव पर भी पाकिस्तानी झंडे के साथ तौहीद का झंडा नजर आया था। यावर के जनाजे में भी मूसा-मूसा जाकिर मूसा के नारे लगे। राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि बेशक हम अलकायदा या आइएस को नकारें, लेकिन कश्मीर में अब उसकी आमद की आहट नहीं बल्कि उसके पैरों के मजबूत होने का शोर साफ सुनाई दे रहा है।

मूसा संग मिल गए थे दुजाना व ललहारी 

पुलवामा के हकरीपोरा में मंगलवार को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए आतंकी अबु दुजाना और आरिफ ललहारी लश्कर-ए-तैयबा को छोड़ जाकिर मूसा के नेतृत्व वाले अलकायदा के संगठन अंसार-उल-गजवा-ए-हिंद में जा मिले थे। इसकी पुष्टि शुक्रवार को देर रात गए जाकिर मूसा ने एक ऑडियो क्लिप में जारी अपने संदेश में की है।



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