२८ जुलाईको मुझे एक कार्यालयीन यात्रापर श्रीनगर जाना था | २७ जुलाईके रात्रि मुझे सूखी खांसी हो रही थी और खांसते समय मेरे पीठकी कोई नस खींच गई और इस कारण मुझे इतनी वेदना हो रही थी कि मैं खडा भी नहीं हो पा रहा था | सम्पूर्ण रात्रि मैं भिन्न औषधि लेता रहा, तेलसे मालिश करायी, यौगिक आसन और पीठके व्यायाम करता रहा; परंतु वेदनामें कुछ भी अंतर नहीं आया | चूंकि मुझे श्रीनगर जानेके सिवा कोई पर्याय नहीं था अतः उसी स्थितिमें मैं कार्यालयीन यात्रा हेतु निकल पडा | मेरी वेदना असह्य हो गई थी और अनेक प्रयास करनेपर उनमें कोई अंतर न देख मैंने अंतमें संध्या समय तनुजा दीदीको दूरभाषसे संपर्क कर अपना कष्ट बताया | वे सहजतासे बोलीं, “सुषम्ना नाडीमें स्थित सूक्ष्म चक्रमें अवरोध आ गया है” | उन्होंने कुछ हस्त मुद्रा करनेके लिए बताया और आकाश तत्त्वका उपाय करनेके लिए कहा | उन्होंने यह भी कहा कि मैं भी आपके ऊपर आध्यात्मिक उपाय करना आरंभ करती हूं | आधे घंटेमें ही मेरी वेदना ९५% कम हो गयी |
अनुभूतिका विश्लेषण : जब भी कभी वेदना हो और अनेक शारीरिक स्तर पर उपाय करनेपर भी उसमें कोई अंतर न आए तो समझ लें कि कारण आध्यात्मिक है | ऐसेमें ‘सनातन संस्था’ निर्मित उदबत्ती जलाना, उसका धुआं लेना, सनातन संस्था निर्मित इत्र या कर्पूर सूंघना जैसे उपाय तुरंत आरंभ कर देने चाहिए | साथ ही आकाश तत्त्वका उपाय करना चाहिए या रात्रिका समय हो तो खाली खोके रख कर उसे देखकर नामजप करना चाहिए इससे जो भी काली शक्ति वेदना निर्माण कर रही हो वह उस ओर खींच जाती है और हमें थोडे समयमें कष्ट कम हो जाता है | यहां एक बात ध्यान रखें कोई भी अध्यात्मविद किसीके कष्ट तभी कम करते हैं यदि वह अनिष्ट शक्तिके कारण हो और वह साधक हो | जो साधक मेरे श्रीगुरुके कार्यमें अपनी क्षमता अनुसार योगदान देते हैं उन्हींके लिए आध्यात्मिक उपाय करती हूं | श्री कोठियाल सोहम पत्रिका हेतु प्रतिदिन अपना समय देते हैं अतः उनके ऊपर आनेवाले कष्ट यदि सूक्ष्म कारणोंसे है उस पर उपाय बताना मेरी साधनाका भाग है; परंतु इस हेतु साधकमें भी भाव होना आवश्यक है अन्यथा हमसे शक्ति संचारित होगी, वह उन्हें प्राप्त नहीं होगी |- तनुजा ठाकुर
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