अयोध्या व मथुरामें मांस और मदिराके विक्रयपर प्रतिबन्ध लगानेकी तैयारीमें योगी सरकार !


नवम्बर १२, २०१८

मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथने दीपावलीसे एक दिवस पूर्व उत्तर प्रदेशके फैजाबाद जनपदका नाम परिवर्तन कर अयोध्या कर दिया । नाम परिवर्तन जानेके पश्चात् अब अयोध्यामें सरकार मद्य और मांसपर प्रतिबन्ध लगानेकी तैयारीमें है ।

वास्तवमें अयोध्यामें सन्तोंकेद्वारा मद्य और मांसके प्रतिबन्ध करनेकी मांग उठाई जा रही है । संतोंकी इस मांगपर योगी सरकारने पूरे अयोध्या जनपदमें मद्य और मांसके प्रतिबन्धको लेकर कानूनी राय मांगी है ।

फैजाबादका नाम अयोध्या परिवर्तन किए जानेके पश्चात् अब शासन मांस और मदिराको १४ कोसी परिक्रमा तक वर्जित करनेपर विचार कर रही है । फैजाबाद नाम रहने तक इसकी सीमा पंचकोसी परिक्रमा तक थी, लेकिन नाम परिवर्तनके पश्चात् अब मांस और मद्यके निषेधका क्षेत्र बढानेकी मांग की जा रही है । पंचकोसीसे बढकर यह १४ कोसी परिक्रमा तक हो सकती है, जिसमें अयोध्या और प्राचीन फैजाबाद नगरका बडा भाग सम्मिलित होगा ।

फैजाबादका नाम अयोध्या किए जानेके पश्चात् साधु सन्तोंकी ओरसे पूरे अयोध्यामें मांस और मदिराको प्रतिबन्धित करने की मांग उठ रही थी । बता दें कि पंचकोसी परिक्रमा अर्थात लगभग ५ किलोमीटरके अयोध्या नगर क्षेत्रमें मांस और मदिरा पहलेसे वर्जित है ।

यद्यपि भगवान रामकी नगरी अयोध्या होनेके कारण अभी तक अयोध्या नगरमें ही मदिरा और मांसपर प्रतिबन्ध था; लेकिन अब जब फैजाबादका नामपर अयोध्या कर दिया गया है तो समूचे जनपदमें प्रतिबन्ध लगानेकी मांग उठने लगी है ।

प्रदेश सरकारके प्रवक्ता श्रीकांत शर्माने बताया कि अयोध्याके सन्तोंने मांग की है कि समूचे जनपदमें मदिरा और मांसपर प्रतिबन्ध लगाया जाए । सरकारने इस मांगको लेकर कानूनी विभागसे परामर्श मांगा है । फैजाबाद जनपदका नाम परिवर्तन कर दिया गया है और अब समूचे जनपदमें इसके प्रतिबन्धकी मांग रखी गई है ।

सन्तोंने जनपदमें मदिरा और मांसके विक्रयके प्रतिबन्धकी मांग कर रहे हैं । उनका कहना है कि अयोध्यामें मदिरा और मांसका विक्रय होना भगवान रामका अपमान है । राम जन्मभूमिके पुजारी स्वामी सत्येन्द्र दासके नेतृत्वमें संतोंने प्रशासनसे यह मांग रखी है ।

सन्तोंके अनुसार, मांस और मदिरासे हिंसा और प्रदूषणको बढावा मिलता है, जोकि रामकी नगरीमें ठीक नहीं है, इसलिए इसपर प्रतिबन्ध लगना चाहिए ।

 

“योगी शासनका यह प्रखर हिन्दुत्ववादी निर्णय प्रशंसनीय है । हिन्दू धर्ममें सात्विकताका महत्वपूर्ण स्थान है और वैष्णवोंके तीर्थ क्षेत्रोंको विकृत करने वाले इन पदार्थोंंपर काफी समय पूर्व ही प्रतिबन्ध लग जाना चाहिए था, परन्तु हिन्दू विरोधी व तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकारें सदैव ही धर्मद्रोही कृत्य करती आई हैं !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : आजतक



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