बाबा रामदेवका प्रखर वक्तव्य, दो बच्चोंका विधान पारित हो, अन्यथा मताधिकार छीने जाएं !


जनवरी २४, २०१९

 

बाबा रामदेवने भारतमें दोसे अधिक बच्चेवालोंके मतदान सहित सभी अधिकार छीननेके प्रश्नपर कहा कि उनका यह वक्तव्य किसी भी समुदायके लिए नहीं, वरन देशहितको ध्यानमें रखकर दिया गया था ।

रामदेवने अपने वक्तव्यके पीछे तर्क दिया कि ७० वर्ष पूर्व जब देश स्वतन्त्र हुआ था तो देशकी जनसंख्या ३०-३५ कोटि थी; परन्तु स्वतन्त्रता मिलनेके सत्तर वर्षोंमें हमने अपने देशकी जनसंख्या चार गुणा कर दी है । उन्होंने कहा कि देशवासियोंको आनेवाले ५०-१०० वर्षोंके बारेमें सोचना चाहिए कि इतने समय पश्चात देशमें कैसी स्थिति होंगी ?

योगगुरु रामदेवने कहा कि अभी वह कमसे कम ५० से ७० वर्ष देशकी सेवा और करेंगें । उन्होंने कहा कि मैं अपनी आंखोंके सामने ऐसा भारत नहीं देखना चाहता जिसकी जनसंख्या २५० कोटि हो जाए ! मैं ऐसा भारत नहीं देखना चाहता, जहां बच्चोंके पढनेके लिए विद्यालय न हों, चिकित्साके लिए चिकित्सालय न हों, काम करनेके लिए चाकरी न हो, ऐसे बच्चे न हों जो देशपर बोझ बन जाएं ! हमारे बच्चे किसी भी स्थितिमें गोरोंसे पीछे न रह जाएं ।

उन्होंने कहा कि मैं तो संन्यासी हूं, मुझे सांसारिक जीवन नहीं जीना; परन्तु मुझे देशकी चिंता है । उन्होंने आगे कहा कि यदि देशके बारेमें एक संन्यासी नहीं सोचेगा तो कौन सोचेगा ? साथ ही रामदेवने इस बातपर बल दिया कि यह सामाजिक जागरूकताका मुद्दा है न कि कोई राजनीतिक वक्तव्य है !

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय राजनीतिमें स्वास्थ्य, शिक्षा, जनसंख्या जैसे मुद्दे होने चाहिए । साथ ही उन्होंने अपने वक्तव्यके बारेमें कहा कि दो बच्चोंवाले वक्तव्यका किसी धर्म या फिर वोट बैंकसे कोई लेना-देना नहीं है !

रामदेवने आगे कहा कि आजका नारा, ‘हम दो, हमारे दो, सबके दो’का होना चाहिए । उन्होंने कहा कि जनसंख्याके विषयको दूरदृष्टिके साथ देखने और इस बारेमें सोचनेकी आवश्यकता है । साथ ही उन्होंने कहा कि आनेवाले समयमें इस प्रकरणपर मतदान विजयी होंगें और पराजित होंगें । हमें यह देखनेकी आवश्यकता है कि किस देशके कितने नागरिक जागरूक, स्वस्थ और समृद्ध हैं ? हमारे देशमें साक्षरता, निर्धनता, स्वास्थ्य, पोषणका मूल्य अत्यल्प है; परन्तु विश्वमें कई ऐसे देश हैं, जहांपर अल्प जनसंख्याके साथ देशोंने अच्छी प्रगति की है । इजरायलको देखिए, वहांके नागरिक अल्प हैं; परन्तु उनका देश प्रगति कर रहा है । भारतके लोगोंका सम्मान जापान या इजरायलसे अल्प नहीं होना चाहिए ।

उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व बाबा रामदेवने अलीगढमें एक कार्यक्रममें कहा था कि जि लोगोंके दोसे अधिक बच्चे हैं, उन लोगोंके मतदान अधिकार ले लिए जाने चाहिए और उनको मतदानमें प्रतिस्पर्धाकी आज्ञा नहीं दी जानी चाहिए । इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि ऐसे लोगोंको शासकीय चाकरी और अन्य सुविधाओंसे भी वंचित कर देना चाहिए, फिर चाहे ऐसे लोग हिन्दू हों या मुस्लिम !

 

“ऐसा क्या अनुचित कहा बाबाने जो सभी विरोधमें उतर आए ! कोई भी राष्ट्रहित चाहनेवाला इस समयकी स्थितिको देखते हुए यही कहेगा; परन्तु जब राजनीतिमें बैठे लोग ही देशविरुद्ध बातें करें तो देशहितकी बातें कैसे हो सकती है ? यह एक कटु सत्य है कि मुस्लिमोंकी संख्या २५% के लगभग हो चुकी है; क्योंकि वे देशके विधानको न मानते हुए शरियानुसार अनेकानेक विवाह और बच्चे करते हैं । हिन्दू इस देशके ७-८ राज्योंमें अल्पसंख्यक हो चुके हैं ! अनेकानेक बच्चे होनेके पश्चात भी समस्त सुविधाओंका लाभ दिया जाता है और वहीं जहां हिन्दू दो बालकोंके विधानका पालन कर रहा है, उसे अपने २ बच्चेका लालन-पालन भी कठिन हो रहा है । ऐसेमें यदि शासनकर्ताओंने शीघ्र ही इसकी ओर ध्यान नहीं दिया तो वह दिन दूर नहीं जब यह ऐक हिन्दू बाहुल्य राष्ट्र न होकर मुस्लिम बाहुल्य राष्ट्र होगा और हिन्दुओंका अस्तित्व तक संकटमें आ जाएगा । वोटबैंकके चलते राज्यकर्ता इस समस्यापर आंख मूंदे बैठे हैं । ऐसेमें सभी हिन्दुओंने राज्यकर्ताओंपर बल देकर यह विधान पारित करवाना चाहिए और कोई भी नेता विरोध करे तो उसका सामूहिक बहिष्कार करना चाहिए ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : आजतक

 



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