आपातकालमें समयका सदुपयोग करने हेतु दिनचर्या !
साधको, अभी जिसप्रकारका सम्पूर्ण भारतमें कोरोनाके कारण बन्दी चल रही है, यह स्थिति यदि कोरोना विषाणुका प्रकोप न्यून हो जाए या समाप्त हो जाए तो भी ऐसी परिस्थितियां भारत एवं सम्पूर्ण विश्वमें अगले चार वर्षोंतक बार-बार आनेवाली है ! कभी प्राकृतिक प्रकोप कारण बनेगा तो कभी विश्व युद्ध तो कभी गृह युद्ध ! इसलिए अपनी दिनचर्या बनाएं एवं समयका सदुपयोग कर हिन्दू राष्ट्रके सुपात्र बनें ! अभी तो आपके पास इन्टरनेट भी है, आनेवाले कालमें परिस्थितियां इतनी विपरीत होती जाएंगी कि शासन एवं प्रशासनको इसे भी समय-समयपर बंद करना होगा ! इसलिए इस कालका सदुपयोग करने हेतु अपनी दिनचर्या बनाएं, उसमें स्वसंरक्षण प्रशिक्षण, योगासन, प्राणायाम, नामजप, सत्संग श्रवण, संत लेखनका पठन, दोष एवं अहं निर्मूलन हेतु सर्व प्रयास करें ! यह मैं आपको भयभीत करने हेतु नहीं कह रही हूं अपितु जिस आपातकालके विषयमें अनेक संतोंने बतया है वह आ चुका है !
साथ ही आयुर्वेदसे सम्बन्धित अभ्यास आरम्भ करें। अपने आस-पासमें उपलब्ध होनेवाली शाक-फल, सूखा मेवा, पुष्प, एवं जडी-बूटियोंका अभ्यास आरम्भ कर दें ! ध्यान रहे यह कालकी मांग है ! स्वसंरक्षण प्रशिक्षण, संस्कृत भाषा, जैविक खेती, वैकल्पिक चिकित्सा शास्त्र, गोपालन इत्यादिके विषयमें भी जब भी आपको समय मिले तो अभ्यास करें और इस दिशामें जैसे ही अल्प कालके लिए समय मिले तो कुछ प्रयास अवश्य करें ! और कमसे कम साधनमें जीवन यापनकी वृत्ति निर्माण करें ! यदि आपके पास गांवमें भूमि हो तो उसमें भी कोरोना महामारीके पश्चात स्थिति सामान्य हो जाये तो अपनी व्यस्त दिनचर्यासे समय निकालकर उसमें स्वयंसे खेती करने हेतु कुछ प्रयास करें ! एक नूतन भारतके निर्माणका काल निकट आ रहा है | अपने आस-पासके क्षेत्रमें औषधियोंके वृक्ष या पौधोंका रोपण करें ! अपने भीतर कुटुम्ब भावको आत्मसात करें, अब स्वार्थी होकर इस लम्बे चलनेवाले आपातकालमें आप अधिक समयतक नहीं टिक सकेंगे अतः परमार्थी बनें ! आज आप किसीकी सहायता करेंगे, कल वे आपकी विपरीत परिस्थिति आनेपर आपके लिए खडे रहेंगे !
Leave a Reply