सितम्बर ११, २०१८
आधारकी सूचनाओंकी सुरक्षा एक ऐसा विषय है, जो आरम्भ से ही प्रश्नचिह्न है । अब यस पुनः समाचारोंमें है, क्योंकि तीन माह तक चली एक जांचमें दावा किया गया है कि एक ‘सॉफ्टवेयर पैच’ है, जो ‘आधार आइडेंटिटी डेटाबेस’में प्रविष्ट सूचनाओंकी सुरक्षाको संकटमें डाल देता है ! ‘हफपोस्ट इण्डिया’के विवरणमें बताया गया है कि एक पैच, जिसे ‘यूनिक आइडेंटिफिकेशन ऑथोरिटी ऑफ इण्डिया’द्वारा बनाया नहीं किया गया है, इसकी सहायता से कथित रूपसे हैकर्स आधिकारिक ‘आधार एनरोलमेंट सॉफ्टवेयर’के सुरक्षाको बन्दकर अनाधिकृत आधार क्रमांक बना रहे हैं !
कांग्रेसने मंगलवारको कहा कि लोगोंके विवरण संकटमें हैं । विवरण अनुसार, कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति २५०० रुपयेमें सरलता से मिलने वाले इस ‘पैच’के द्वारा विश्वमें कहीं भी आधार क्रमांक बना सकता है !
गत माह फ्रांसीसी सुरक्षा विशेषज्ञ इलियट एल्डर्सनने प्रश्न किया था कि क्यों ‘यूआईडीएआई’का चलभाष क्रमांक कई लोगोंके चलभाषपर उनकी जानकारीके बिना प्रविष्ट हो गया था । इसपर काफी विवाद हुआ था । अब उन्होंने एक बार पुनः कहा है कि सूचनामें सेंधको रोकनेके लिए हैकर्सके साथ कार्य करें !
उन्होंने कहा, “मैं दोहराता हूं कि कोई भी चीज ऐसी नहीं है, जिसे हैक न किया जा सके ! ये आधारपर भी लागू होता है ! कभी भी बहुत देर नहीं होती, सुनिए और हैकर्सको चेतावनी देनेके स्थानपर उनसे बात कीजिए ।” वहीं, ‘यूआईडीएआई’ने एक वक्तव्य देते हुए आधार सॉफ्वेयर हैक हो जानेके समाचारको निराधार कहा है । कुछ लोग जानबूझकर लोगोंके मनमें भ्रम पैदा करनेका प्रयास कर रहे हैं । किसी भी सूचनाको डिस्कमें संरक्षित करनेसे पूर्व आवश्यक सुरक्षा उपायोंको ध्यानमें रखा जाता है । कोई भी संचालक आधार बना या सुधार नहीं कर सकता है, जब तक कोई निवासी स्वयं अपनी बॉयोमेट्रिक विवरण उसे ना दे दे ।
“यह कोई प्रथम बार नहीं है, जो आधारकी सूचना उजागर हुई है, परन्तु अपनी चूकोंसे सिखनेके स्थानपर यह बयानबाजी केवल अहंकारी व्यवहारको दर्शाता है ।ध्यान रहे, कोटि हिन्दुस्तानियोंकी सूचनाओंकी सुरक्षाका उत्तरदायित्व आपने उठाया है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : आजतक
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