आपातकालमें देवताको ऐसे करें प्रसन्न ! (भाग-१२)


रात्रिकालमें प्रसाद पानेके (भोजन ग्रहण करनेके) पश्चात सभी पत्रोंको स्वच्छकर अन्नपूर्णा कक्षको व्यवस्थित करके ही सोएं ! यह बात हमने अपनी माताजीसे सीखी है । इससे प्रातः उठनेपर आपके लिए सब सेवा करना सरल तो हो ही जाता है, कीडे-मकौडे एवं चूहे इत्यादिको भी कुछ खानेको नहीं मिलनेसे वे आपके कक्षमें नहीं आते हैं । जूठे पात्र रहनेसे रात्रिके कालमें विचरण करनेवाली अनिष्ट शक्तियां उसे ग्रहण करती हैं और इससे कक्ष व पात्र दोनों ही दूषित होते हैं ।
      अन्नपूर्णा कक्षमें आप जितना अधिक भाव रखेंगे, उसका आपको उतना ही अधिक लाभ मिलेगा, यह ध्यानमें रखकर इस आचारधर्मका भी पालन करें ! यह करना आपके लिए कठिन तो होगा; किन्तु इसे करके देखें, प्रातः आपके अन्नपूर्णा कक्षके स्पन्दनोंमें आपको स्पष्ट रूपसे परिवर्तन दिखेगा  !


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